Nepal Violence: नेपाल में हुई हिंसा के लिए PM केपी शर्मा ओली ने पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को ठहराया जिम्मेदार, कहा- बख्शा नहीं जाएगा
Nepal Violence: संसद में चौथी और पांचवीं सबसे बड़ी पार्टियों राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) को रविवार को सर्वदलीय बैठक से बाहर रखा गया। नेपाल के प्रमुख दैनिक काठमांडू पोस्ट के अनुसार, दोनों पार्टियों को गणतंत्र विरोधी ताकतें माना जाता है।

नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो)
Nepal Violence: नेपाल में राजशाही की मांग लेकर आंदोलन हो रहा है। शुक्रवार को हिंसा हुई थी। अब नेपाल की सरकार इस आंदोलन के पीछे पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को दोषी ठहरा रही है। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने राजा ज्ञानेंद्र की जमकर आलोचना की है और सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
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राजा ज्ञानेंद्र ने किया समझौते का उल्लंघन
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने संसद में कहा- "पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर अपना संदेश जारी करते हुए लोगों से समर्थन मांगा था और उसके बाद उनकी काठमांडू आगमन पर जगह-जगह स्वागत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजा ने बीते शुक्रवार को समाज के अवांछित नागरिकों को बुलाकर उन्हें आंदोलन का जन कमांडर घोषित किया। राजा ने प्रदर्शनकारियों को हिंसा करने के लिए उकसाया।इन सब घटनाओं से साबित होता है कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने संविधान जारी होते समय किए गए समझौते का उल्लंघन किया है।
सख्त कार्रवाई की चेतावनी
आगे नेपाल के पीएम ने कहा कि इस समय आम नागरिक की हैसियत से शांति पूर्वक जीवन बिताने और नागरिक को दिए गए सभी अधिकारों का प्रयोग करते हुए राजा को व्यापार करने की छूट दी हुई थी। साथ ही पूर्व राष्ट्र प्रमुख की हैसियत से दी जाने वाली सभी सुविधाएं उनको प्रदान दी गई थी। इसके अलावा पूर्व राजा को नागार्जुन दरबार प्रयोग करने की भी इजाजत दी गई थी। इस देश में सभी को संविधान को मानना ही पड़ेगा। शुक्रवार को हुई घटना में जो लोग भी शामिल थे किसी को भी नहीं बक्शा जायेगा। देश के पूर्व राजा को भी इससे मुक्त नहीं किया जाएगा।
नेपाल में भड़की थी हिंसा
शुक्रवार को राजधानी काठमांडू के कुछ इलाकों में तनाव बढ़ गया, क्योंकि सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। ये लोग नेपाल में समाप्त हो चुकी राजशाही की बहाली की मांग कर रहे थे।
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