जिस 'तालिबानी सांप' को पाक ने पिलाया था दूध, अब वही लगा है डंसने; रोज गिर रहीं हैं लाशें!

अफगानिस्तान में तालीबान का जो संगठन सत्ता में है, वो सीमा पर बार-बार पाकिस्तान के साथ उलझ रहा है। कई बार गोलीबारी हो चुकी है और इसमें आम नागरिकों की जान भी जा चुकी है। आर्थिक संकट से घिरा पाकिस्तान इन हमलों पर गुस्सा तो हो रहा है, लेकिन तालीबान के साथ उलझता हुआ नहीं दिख रहा है।

जिस 'तालिबानी सांप' को आजतक पाकिस्तान दूध पिलाते हुए आया है, अब वही उसे डंसने लगा है। एक ओर अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका तालिबान, अब सीमा पर पाकिस्तान के साथ उलझने लगा तो वहीं पाकिस्तान के अंदर बैठे एक और तालिबानी सोच के आंतकी संगठन ने पाकिस्तान में हहाकार मचा रखा है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने हाल के दिनों में पाक में कई हमलों को अंजाम दिया है।
कहां से जुड़ी हैं जड़ें
अफगानिस्तान में जब तालिबान पैर जमा रहा था, तब पाकिस्तान उसकी भरपूर मदद कर रहा था। इस बार भी जब अमेरिका अफगानिस्तान से निकला तो पाकिस्तान सबसे ज्यादा खुश था, उसने तालिबान को भरपूर सपोर्ट किया। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से वो रणनीतिक रूप से मजबूत हो जाएगा, भारत, अफगानिस्तान से बाहर हो जाएगा और तालिबान उसी के कहे अनुसार चलेगा। लेकिन हुआ उल्टा, तालिबान जब सत्ता में लौटा तो कुछ दिन तो वो पाकिस्तान के इशारे पर चला, बाद में उसने अलग रहा पकड़ ली। राह भी ऐसी, जिसमें दुश्मनी की लिस्ट में पाकिस्तान का नाम भी शामिल था।
सीमा पर झड़पें
अफगानिस्तान में तालिबान जब सत्ता में लौटा तो पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन एक्टिव हो गए, वो पाकिस्तान में घुसते, हमले करते और फिर अफगानिस्तान भाग जाते। इसके बाद पाकिस्तान ने जब तालिबान के सामने विरोध जताया तो उसने इसे सिरे से खारिज कर दिया। तालिबान के रवैये को देखते हुए पाकिस्तान, अपनी सीमा पर स्थिति मजबूत करने लगा। यहीं से पासा पलटा और तालिबान, पाकिस्तान के विरोध में खड़ा हो गया। सैनिकों के साथ-साथ उसने आम नागरिकों को भी निशाना बनाया। इन हमलों में कई सैनिक और आम नागरिक मारे गए।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
तालिबान जब अफगानिस्तान में अपनी जड़ें जमा चुका था, तब 2007 में पाकिस्तान में एक और तालिबानी गुट का उदय हुआ। अफगानिस्तान सीमा के नजदीक कबायली इलाके के 13 गुटों ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का गठन किया। इसे मुख्य तालिबानी संगठन का जुड़वा भाई भी कहा जाता है। दोनों की सोच एक समान है। शरिया कानून लागू करना, जो काम अफगानिस्तान में तालिबान कर रहा है, उसी को लागू करना टीटीपी का मुख्य उद्देश्य है। दावा किया जाता रहा है कि पाकिस्तानी तालिबान को मुख्य तालिबान से मदद मिलती रही है। पाकिस्तानी सेना जब इनपर कार्रवाई करती है तो ये भाग कर अफगानिस्तान के अंदर चले जाते हैं। फिर वापस आ जाते हैं।
हाल के दिनों में हमले
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान इन दिनों पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है। रविवार को ही इसने एक काउंटर टेररिज्म सेंटर पर हमला बोला है और 9 पाक सैनिकों को बंधन बना लिया है। उससे पहले एक और आतंकी हमले में चार पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इसके अलावा इसी महीने एक गश्ती दल पर हमला हुआ था, जिसमें छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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