तेल पॉलिटिक्स बदल रही है रिश्ते, सऊदी अरब-भारत-अमेरिका पर रूस का सीधा असर !
Russia-Ukraine War Impact: सऊदी अरब के साथ अमेरिका के दशकों से चले आ रहे रिश्तों में अमेरिकी हित हावी रहे हैं। लेकिन रूस-यूक्रेन के बाद से तस्वीर बदलती जा रही है। और उसकी सबसे बड़ी बानगी 5 अक्टूबर को OPEC+ की बैठक में देखने को मिली। जब सऊदी अरब, रूस सहित ओपेक प्लस देशों ने तेल का उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदन कम करने का ऐलान किया।
- सऊदी अरब का तेल कटौती का फैसला अमेरिका के लिए बड़ा झटका है।
- रूस के साथ खड़ा हो गया है सऊदी अरब, जो बाइडेन ने बताया निराशाजनक फैसला।
- भारत पर भी रूस से तेल नहीं खरीदने का दबाव, लेकिन भारत ने पश्चिमी देशों को दिया दो टूक जवाब।
Russia-Ukraine War Impact: जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प तरीके से बदल रहे हैं। कभी बेहद करीबी दोस्त दुश्मन खेमे में चला जा रहा है। तो कभी एक खेमे के करीब आ रहा दोस्त, अपना नया पैंतरा दिखा दे रहा है। देशों के इस फैसले की सबसे बड़ी वजह तेल की राजनीति है। जिसमें सभी देश अपने आर्थिक हितों को साधने में लगे हुए है। और जिसका असर आने वाले दिनों में नए समीकरणों के रूप में दिख सकता है।
सऊदी अरब और अमेरिका की दोस्ती में दरार !
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सऊदी अरब के साथ अमेरिका के दशकों से चले आ रहे रिश्तों में अमेरिकी हित हावी रहे हैं। लेकिन रूस-यूक्रेन के बाद से तस्वीर बदलती जा रही है। और उसकी सबसे बड़ी बानगी 5 अक्टूबर को OPEC+ की बैठक में देखने को मिली। जब सऊदी अरब, रूस सहित ओपेक प्लस देशों ने तेल का उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदन कम करने का ऐलान किया। सऊदी अरब का यह फैसला अमेरिका के लिए बड़ा झटका था। क्योंकि उसके पहले जुलाई में जब जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सऊदी अरब की यात्रा की थी तो उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब ने हमारी जरुरतों को समझा है और उम्मीद है कि आने वाले हफ्तो में बेहतर संबंधों की ओर कदम उठाए जाएंगे। लेकिन OPEC+ फैसला कुछ और ही कहानी कहता है। इसी वजह से बाइडेन ने निराशा जताते हुए कहा कि सऊदी अरब का फैसला निराशाजक है।
असल में इस फैसले की प्रमुख वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की आशंका है। OPEC+ देशों को लगता है कि मंदी की वजह से तेल की डिमांड कम हो सकती है। जिसका असर कीमतों में गिरावट के रूप में दिख सकता है। और जिसका सीधा असर तेल पर निर्भर सऊदी अरब जैसे देशों की इकोनॉमी पर होगा। कच्चे तेल की कीमतें सितंबर की आखिरी में गिरकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में 82 डॉलर प्रति डॉलर तक आ गई थी। जबकि जून 2022 में यह 123 डॉलर प्रति बैरल था। इसे देखते हुए देशों ने कटौती का फैसला किया है।लेकिन OPEC+ के फैसले से रूस के हित सध रहे हैं और अमेरिका को नुकसान हो रहा है।
भारत भी आर्थिक हितों को देखते हुए कर रहा है फैसला
इसी तरह भारत पर पश्चिमी देश लगातार दबाव बनाते रहे हैं कि वह रूसे तेल नही खरीदें। लेकिन रूस उसे भारी छूट पर तेल दे रहा है। इस कारण विदेश मंत्री एस.जयशंकर से लेकर दूसरे मंत्री पश्चिमी देशों पर सीधे या अप्रत्यक्ष रूप पर तीखा बयान देते रहते हैं। हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने कहा कि देश की जनता को ऊर्जा उपलब्ध कराना भारत सरकार का नैतिक कर्तव्य है। भारत को जहां से भी तेल मिलेगा वह खरीदना जारी रखेगा।
इसी तरह विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने रूस से तेल खरीदने के फैसले पर पश्चिमी देशों की भारत को दी जा रही नसीहत पर दो टूक कहा था कि 'भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, उतना यूरोप एक दोपहर में खरीद लेता है। और एक बार फिर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में पत्रकारों के सवाल पर बीते 10 अक्टूबर को कहा कि पश्चिमी देशों ने दशकों तक भारत को हथियार नहीं दिया। इसलिए रूस से हथियार लेना पड़ा। और उस वक्त पश्चिम देश भारत को हथियार देने की जगह पाकिस्तान की सैन्य तानाशाही सरकार को हथियार दिए।
अमेरिका फिर से पाक के आ रहा है करीब
मोदी सरकार के कार्यकाल में अमेरिका और भारत के रिश्ते नई ऊंचाइयों पर पहुंचे है। लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका एक बार फिर पाकिस्तान के करीब आ रहा है। उसका बड़ा संकेत सितंबर के महीने में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को पहले से दिए गए एफ-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता को मंजूरी के रूप में दिखा। जबकि ट्रंप प्रशासन ने 2018 में पाकिस्तान के तालिबान और हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर, उसे दी जाने वाली करीब दो अरब डॉलर की वित्तीय सहायता रोक दी थी। इसी तरह इसी तरह अमेरिका के राजदूत डोनल्ड ब्लोम ने हाल ही में पाक अधिकृत कश्मीर का दौरा किया है। और उसे आजाद कश्मीर कह दिया । अमेरिका की इस बदली रणनीति को रूस-भारत के करीबी के रूप में देखा जा रहा है।
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