कनाडा ने आतंकवादियों के सिर्फ 5 प्रत्यर्पण अनुरोधों का किया समाधान, बाकी अधर में...बोले भारतीय राजदूत

लगभग 8 लाख की बड़ी सिख-कनाडाई आबादी के बीच खालिस्तानी चरमपंथियों को कनाडा के मौन समर्थन के मुद्दे पर भारत-कनाडा के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं।

Sanjay Verma

संजय वर्मा

India-Canada Relations: खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए कनाडा को भेजे गए 26 अनुरोधों में से ओटावा ने केवल पांच का समाधान किया है और बाकी अधर में लटके हुए हैं। कनाडा में भारत के शीर्ष दूत ने इसे निष्क्रियता का परिणाम बताया। उच्चायुक्त संजय वर्मा ने एक साक्षात्कार में पीटीआई को बताया कि पांचों लोगों को प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि वह नाम का खुलासा या विवरण नहीं दे सकते। यह साक्षात्कार उनके नई दिल्ली लौटने के कुछ दिन बाद बुधवार को हुआ। भारत ने उन्हें और पांच अन्य भारतीय राजनयिकों को आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में कनाडा के आरोपों के बाद वापस बुला लिया था।

संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर

लगभग 8 लाख की बड़ी सिख-कनाडाई आबादी के बीच खालिस्तानी चरमपंथियों को कनाडा के मौन समर्थन के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। नई दिल्ली ने ओटावा पर खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों को रोकने के लिए निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाया, जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करना चाहते हैं। संजय वर्मा ने कहा, मेरे पास जो अंतिम जानकारी थी, उसके अनुसार प्रत्यर्पण के पांच अनुरोधों का समाधान हो चुका है। 21 अभी भी लंबित हैं, और ये दशकों से लंबित हैं। इसलिए, मैं कहूंगा कि परामर्श के बजाय निष्क्रियता है। अगर पिछले चार-पांच या 10 वर्षों में कोई कार्रवाई नहीं हुई है, तो मैं इसे निष्क्रियता ही कहूंगा।

कुल 26 प्रत्यर्पण का अनुरोध

हाल ही में, विदेश मंत्रालय ने कहा कि 26 प्रत्यर्पण अनुरोध उन लोगों के लिए हैं जिन पर भारत में आतंक और इससे संबंधित अपराधों का आरोप लगाया गया है। भारत ने पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत कई आरोपियों की गिरफ्तारी की भी मांग की है, जो कनाडा के पास लंबित है। मंत्रालय द्वारा नामित लोगों में गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल शामिल हैं। भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए निज्जर की पिछले साल 18 जून को कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

क्या ठंडे रिश्ते होंगे गर्म

यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों देशों के ठंडे रिश्ते कभी गर्म हो सकते हैं, वर्मा ने कहा, मैं केवल यही चाहूंगा कि दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हों। लेकिन, यह बेहतर होना चाहिए इसलिए नहीं कि हम इसे बेहतर बनाना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि हम दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। दोनों एक-दूसरे को समझना चाहते हैं, दोनों एक-दूसरे की मूल चिंताओं को समझते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की मूल चिंता बिल्कुल स्पष्ट है। हमारे कनाडाई मित्रों को कई बार बताया गया है कि हमारी मुख्य चिंता वहां के भारत विरोधी तत्व, खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी हैं, जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देते रहते हैं। कनाडा को कहीं न कहीं उन्हें संभालना होगा।

खालिस्तानी कनाडाई नागरिक, भारतीय नहीं

उन्होंने बताया कि कनाडा में खालिस्तानी कनाडाई नागरिक हैं, भारतीय नागरिक नहीं। तो, भारत का भविष्य क्या होगा, यह भारतीय तय करेंगे। विदेशी इसका फैसला नहीं करेंगे। वे भारतीय मूल के हैं, लेकिन हमारे लिए वे विदेशी हैं। विदेशियों को हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कभी कोई अधिकार नहीं था, है या रहेगा।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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