अजब-गजब पाकिस्तान, तीन साल के बच्चे के खिलाफ बिजली चोरी का मामला दर्ज, अदालत में भी पेशी
यह घटना पिछले महीने एक चौंकाने वाले खुलासे के बाद सामने आई है, जिसमें बिजली वितरण कंपनियों के भीतर बिजली चोरी के कारण राष्ट्रीय खजाने को 438 बिलियन पाकिस्तानी रुपये का नुकसान की बात सामने आई थी।
पाकिस्तान में बिजली चोरी का गजब मामला
3 year Old Booked For Electricity Theft: पाकिस्तान की अजब-गजब घटनाओं का सिलसिला एक और घटना के साथ आगे बढ़ा है। यहां एक चौंकाने वाले मामले में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक तीन साल के बच्चे के खिलाफ बिजली चोरी का मामला दर्ज किया गया है। एआरवाई न्यूज ने यह जानकारी दी है। पेशावर इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (PESCO) और जल और बिजली विकास प्राधिकरण (WAPDA) की शिकायतों पर बिजली चोरी में कथित संलिप्तता के लिए नाबालिग के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
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अदालत में पेश किया गया बच्चा
इस बच्चे को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में भी लाया गया, जहां हलफनामा देने के बाद न्यायाधीश ने मामले को खारिज कर दिया। यह भी सामने आया कि WAPDA/PESCO के अधिकारियों ने बच्चे द्वारा बिजली चोरी मामले को लेकर अनिश्चितता जताई। यह घटना पिछले महीने एक चौंकाने वाले खुलासे के बाद सामने आई है, जिसमें कथित तौर पर बिजली वितरण कंपनियों के भीतर बिजली चोरी के कारण राष्ट्रीय खजाने को 438 बिलियन पाकिस्तानी रुपये का चौंका देने वाला नुकसान सामने आया था।
बिजली कंपनियों की नाकामी और गबन
सूत्रों ने खुलासा किया कि ये घाटा पीकेआर 438 बिलियन से अधिक था, जो कि पीकेआर 723 बिलियन की कुल वार्षिक बिलिंग के मुकाबले एक बड़ा आंकड़ा है। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले डिस्को (DISCO) के रूप में पहचाने जाने वाले पावर डिवीजन ने हैदराबाद, सुक्कुर, पेशावर, क्वेटा और आदिवासी क्षेत्रों की कंपनियों को उनके निराशाजनक रिकॉर्ड की याद दिलाई। 7 अप्रैल को पंजाब ऊर्जा विभाग ने बिजली वितरण कंपनियों द्वारा सरकारी संस्थानों से अधिक शुल्क वसूलने पर चिंता जताई और इसे प्रांतीय खजाने पर बोझ बताया।
सरकारी विभागों से अधिक शुल्क वसूला
विभाग ने इस बात पर जोर दिया कि लाहौर इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (LESCO), फैसलाबाद इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (FESCO), मुल्तान इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (MEPCO), गुजरांवाला इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (GEPCO) और इस्लामाबाद इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (IESCO) सरकारी विभागों से अधिक शुल्क वसूलने की दोषी थीं। प्रांतीय विभागों में 1,02,000 से अधिक बिजली कनेक्शनों के साथ असल खपत और बिल राशि के बीच विसंगति साफ तौर पर सामने आई थी। विभाग ने खुलासा किया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रांतीय विभागों ने 1.91 बिलियन रुपये से अधिक की बिजली की खपत की, लेकिन भुगतान 76 बिलियन रुपये का करना पड़ा।
इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए संघीय सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मांगों का जवाब देते हुए बिजली चोरी पर अंकुश लगाने और राजस्व वसूली को बढ़ाने के लिए बिजली वितरण कंपनियों (DISCOs) में संघीय जांच अधिकारियों (FIA) की तैनाती को मंजूरी दे दी। (एएनआई इनपुट)
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