पाकिस्तान सरकार के पास अनाज खरीदने तक के लिए पैसे नहीं, एक डॉलर की कीमत 255 रुपए
पाकिस्तान अपनी करनी का शिकार है और उसके हुक्मरानों को यह बात समझ में भी आ रही है। पाकिस्तान के पास इतना भी विदेशी मुद्रा रिजर्व नहीं बचा है जिससे वो आयात कर सके। इस समय पाकिस्तानी करेंसी की कीमत एक डॉलर के मुकाबले 255 रुपए है।
शहबाज शरीफ के शासन में पाकिस्तान हुआ कंगाल
पाकिस्तान, बदहाल और कंगाल हो चुका है। लोग खाने पीने के लिए मोहताज हैं, पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा रिजर्व अब ना के बराबर है। पाकिस्तान में बिजली संकट चरम पर है। पीएम शहबाज शरीफ अपने मुल्क को बचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। कभी अरब देशों से याचना तो कभी अमेरिका से गुहार तो कभी अपने सदाबहार दोस्त चीन से अपील। लेकिन उनकी कोई भी मुहिम रंग नहीं ला रही। हाल ही में उन्होंने कहा कि अब हम भारत से और शत्रुता वाला व्यवहार नहीं रख सकते हैं, तीन जंगों में क्या हुआ हम उसके गवाह हैं। इन सबके बीच पाकिस्तानी रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले अपने न्यूनतम स्तर पर है। पाकिस्तानी रुपए में गिरावट को आप इस आंकड़े से समझ सकते हैं। मसलन एक डॉलर खरीदने के लिए आपको 255 पाकिस्तानी रुपए अदा करने होंगे। पाकिस्तानी करेंसी 24 रुपए नीचे गिरी है। अगगर भारतीय रुपए से तुलना करें तो .34 रुपए एक पाकिस्तानी रुपया खरीद सकते हैं।
आईएमएफ भी मेहरबान नहीं
आईएमएफ ने पाक सरकार से अपना नियंत्रण समाप्त करने और बाजार की शक्तियों को मुद्रा दर निर्धारित करने देने के लिए कहा था, एक ऐसी शर्त जिसे आसानी से स्वीकार कर लिया गया था। पाकिस्तान 6.5 बिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त करने के लिए वैश्विक निकाय की मंजूरी हासिल करना चाह रहा है जो वर्तमान में रुका हुआ है।जबकि पाकिस्तान ने पिछले साल आईएमएफ बेलआउट हासिल किया था। हालांकि इस वर्ष से आईएमएफ उतना मेहरबान नजर नहीं आ रहा है। पाकिस्तान में कम विदेशी मुद्रा भंडार ने बड़े पैमाने पर खाद्य मुद्रास्फीति को जन्म दिया है।
3 हजार रुपए में आटे की बिक्री
देश के कुछ हिस्सों में आटे का एक पैकेट 3,000 रुपये तक में बेचा जा रहा है। खाने के लिए लड़ रहे लोगों और खाने के ट्रक का पीछा करने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।हम कुछ नहीं कर पाए हैं। वर्कशॉप चलाने वाले जफर अली का कहना है कि हम सब बेकार बैठे हैं, कोई भी मशीन नहीं चला सकते। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने भी इस सप्ताह बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाकर 24 साल के उच्च स्तर पर कर दिया।
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ललित राय author
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