बदहाल पाकिस्तान में अमीरों के जलवे, सेना-बड़े जमींदार और बिजनेस मैन चलाते हैं देश

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान के अमीरों ने पिछले छह महीनों के दौरान लग्जरी कारों, महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके पुर्जों सहित ट्रांसपोर्ट गुड्स के आयात पर करीब 9717 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं।

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पाकिस्तान में गंभीर आर्थिक संकट

Pakistan Economic Crisis: पड़ोसी मुल्क साल 1971 के बाद के सबसे गंभीर संकट से गुजर रहा है। आर्थिक बदहाली का आलम यह है कि अगर पाकिस्तान को मदद नहीं मिली तो वहां चुनाव कराने के भी लाले पड़ जाएंगे। पाकिस्तान के पास केवल 3 हफ्ते का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। जरूरी वस्तुओं की कीमतें लोगों की पहुंच से दूर हो चुकी हैं। लोग आटे के लिए आपस में लड़ और मर रहे हैं। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रूपया 229 के स्तर पर पहुंच चुका है। हालात ऐसे हैं कि पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुका है। लेकिन इस बीच ऐसी खबर आई है जिसमें पाकिस्तान की इस दुर्गति की वजह सामने आ रही है।

खबर यह है कि पाकिस्तान के अमीरों ने पिछले छह महीनों के दौरान लग्जरी कारों, महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके पुर्जों सहित ट्रांसपोर्ट गुड्स के आयात पर करीब 9717 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। और ऐसा तब हुआ है जब पाकिस्तानी सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार को बचाए रखने के लिए लग्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। यानी नियमों को धता बताते हुए ऐसा हुआ है। सवाल उठता है पाकिस्तान के यह अमीर कौन हैं। तो इसकी थोड़ी तस्वीर साल 2020 में आई एक रिपोर्ट से सामने आती है।

जमींदार और बिजनेसमैन का रसूख

साल 2020 में पाकिस्तान नेंशनल असेंबली पर आई एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की राजनीति में जमींदार और बिजनेसमैन का बेहद असर है। रिपोर्ट के अनुसार नेशनल असेंबली में 12 सदस्य ऐसे थे जिनकी संपत्ति 100 करोड़ पाकिस्तानी रूपये से ज्यादा थी। पाकिस्तान के इन अमीरों के पास बड़े-बड़े लैंड बैंक हैं। इसके अलावा इन्होंने बिजनेस से इनकी बड़ी कमाई है। और इन लोगों ने स्टॉक मार्केट से लेकर प्रॉपर्टी में बड़ा निवेश कर रखा है।

पाकिस्तान में हमेशा से पंजाबियों का असर रहा है। और यह रिपोर्ट भी इसी गठजोड़ का इशारा करती है। रिपोर्ट के अनुसार 12 अरबपतियों में 5 पंजाब, 5 खैबर पख्तून और 2 सिंध के थे। इसमें से 5 सदस्य तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य थे। जबकि 3 पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के सदस्य थे।

सेना है इकोनॉमी में बड़ी हिस्सेदार

पाकिस्तान के 65 साल के इतिहास में सेना ने 33 साल तक शासन किया। सेना जब सत्ता में नहीं रही तो भी हर चीज में उसका वर्चस्व रहा। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार सेना पाकिस्तान में सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों में से एक हैं। वह खेती से लेकर औद्योगिक उत्पादन तक, ऐसे सैकड़ों कारोबार है, जिनमें लगी हुई है। केंद्र सरकार का 30 फीसदी खर्च सेना वहन करती है। इसमें रक्षा बजट और पेंशन भी शामिल है।

भारत की आ रही है याद

इस बीच पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्स मिया मुहम्मद मानसा ने देश को इस बदहाली से निकालने के लिए अहम सलाह दे चुके हैं। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को अक्खड़ रवैया छोड़कर भारत के साथ फिर से व्यापार शुरू करना चाहिए। साथ ही आईएमएफ के साथ जल्द से जल्द डील कर लोन का रास्ता साफ करना चाहिए। इसके लिए विदेशी निवेशकों को लुभाने के कदम उठाने चाहिए।

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