सेना के जनरल हों या सियासतदां सभी ने किया पाक का बेड़ा गर्क, 22 सालों में 1500% से ज्यादा हो गया सार्वजनिक कर्ज

Pakistan gross public debt : ट्रिब्यून डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2002 में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक कर्ज 3.1 खरब रुपया था। इस रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देकर कहा गया है कि 2008 में जब जनरल मुशर्रफ का शासन खत्म हुआ तो यह सकल सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 6.1 खरब रुपया पर जा पहुंचा।

Pakistan rupee

अपने अब तक के सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है पाकिस्तान।

Pakistan gross public debt : पाकिस्तान के शांतिकालीन इतिहास में यह पहली बार है जब उसके ऊपर संप्रभु दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। आजादी के बाद उसकी गलत नीतियों के चलते उसकी अर्थव्यवस्था तो डूबी ही बीते 22 सालों में कर्ज के भंवर में उसने खुद को इस तरह से डुबोया है उससे निकलना अब मुश्किल हो गया है। बीते 22 वर्षों में उसका सकल सार्वजनिक कर्ज 1500 से प्रतिशत से ज्यादा हो गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि 2002 के बाद से पाकिस्तान में चाहे नागरिक सरकार रही हो या सैन्य सरकार सभी ने अपना कार्यकाल खत्म होते-होते इस सार्वजनिक कर्ज को करीब दोगुना कर दिया।

2002 में कुल सार्वजनिक कर्ज 3.1 खरब रुपया था

ट्रिब्यून डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2002 में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक कर्ज 3.1 खरब रुपया था। इस रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देकर कहा गया है कि 2008 में जब जनरल मुशर्रफ का शासन खत्म हुआ तो यह सकल सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 6.1 खरब रुपया पर जा पहुंचा। आठ वर्षों में इस कर्ज में 100 फीसदी की वृद्धि हुई। आगे जून 2013 तक देश का सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 14.3 खरब रुपया हो गया। इस दौरान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के शासन के अंत तक इस कर्ज में 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसके बाद पीएमएल-एन सरकार का कार्यकाल (2013 से 2018) खत्म होते-होते यह ऋण 25 खरब रुपए तक पहुंच गया।

नवाज हों या इमरान सभी ने बढ़ाया कर्ज

नवाज सरकार के बाद पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी की सरकार बनी। प्रधानमंत्री इमरान खान ने वादा किया कि उनकी सरकार इस सकल सार्वजनिक कर्ज को घटाकर 20 खरब रुपए पर लाएगी। हालांकि, उनके 43 महीनों का कार्यकाल जब खत्म हुआ तो यह ऋण 44.3 खरब रुपए तक पहुंच गया। इमरान के करीब चार वर्षों के कार्यकाल में इस कर्ज में 77 फीसदी का उछाल आया। आज हालत यह हो गई है कि पाकिस्तान का कुल कर्ज एवं देनदारियां बेतहाशा बढ़ी हैं। इस देश पर 60 खरब रुपए से ज्यादा का बकाया है। पाकिस्तान में सार्वजनिक कर्ज बढ़ने के कई कारण हैं। इसकी एक सबसे बड़ी वजह सरकार की कमाई से ज्यादा उसके खर्चे हैं। इसके अलावा रुपए की कीमत में लगातार गिरावट एवं अर्थव्यवस्था को बाहरी आर्थिक मदद पर निर्भर होना सार्वजनिक कर्ज बढ़ने के प्रमुख कारणों में गिना जाता है।

गलत नीतियों ने इस हाल पर पहुंचाया

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के रिकॉर्ड के मुताबिक साव 1971 में - जब देश दो भागों में (पाकिस्तान/बांग्लादेश) विभाजित हो गया था। हमने विदेशी ऋण के रूप में 564 मिलियन डॉलर लिए। यह सब एक दीर्घकालीन वित्तपोषण योजना के तहत लिया गया था जिसका उपयोग संपत्ति बनाने या खाद्यान खरीद करने के लिए किया गया था। इसके बाद पाकिस्तान ने जितने भी कर्ज लिए, उनमें से अधिकतर को रक्षा और लोक प्रशासन, सार्वजनिक सेवाओं में सब्सिडी के भुगतान और पुराने कर्ज को चुकाने के लिए इस्तेमाल किया। कम आय के बावजूद पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट कभी भी कम नहीं किया। इस दौरान सरकार को हुई कमाई का शायद ही कोई पैसा स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा, परिवहन या कृषि और भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किया गया हो।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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