भारत की सिर्फ एक मीटिंग से उड़ गई पाकिस्तान की नींद, इस्लामाबाद में बंद कमरों में बैठकों का दौर शुरू!
अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के रिश्ते खराब हो चले हैं। तालिबान के साथ पाकिस्तान का तालमेल अब नहीं बैठ रहा है। तालिबान अब पाकिस्तान की नहीं सुन रहा है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फोटो- @ShehbazSharif)
हाल के महीनों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान से खफा दिखा है, जिस तालिबान के सत्ता में आने पर पाकिस्तान ने जश्न मनाया था, उसे अब दुश्मन मान रहा है। अफगानिस्तान में घुसकर हमले कर रहा है। अफगानियों को देश से निकाल रहा है, लेकिन जैसी ही भारत ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से मीटिंग की, पाकिस्तान में हलचल मच गई। इस मीटिंग को लेकर बंद कमरों में इस्लामाबाद में मीटिंग हो रही है।
दुबई में हुई थी मीटिंग
दुबई में तालिबान शासित अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री के साथ भारतीय विदेश सचिव की बैठक ने पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की नींद उड़ा दी है। कई शीर्ष विश्लेषकों ने सुझाव दिया है कि इस्लामाबाद को काबुल के प्रति अपने आक्रामक रुख पर फिर से विचार करना चाहिए। अफगानिस्तान की तरफ से भारत को 'महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक साझेदार' बताए जाने के बाद पाकिस्तान में अफगान रणनीति की गहन समीक्षा की मांग बढ़ गई है।
हमलों के खिलाफ भारत ने दिया था बयान
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी। दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ 'क्षेत्रीय घटनाक्रम' से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इससे पहले नई दिल्ली ने अफगानिस्तान पर पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक की कड़ी निंदा की थी जिसमें कई महिलाओं और बच्चों सहित 46 लोगों की मौत हो गई थी।
पाकिस्तान की उड़ी नींद
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इस्लामाबाद में बंद कमरे में बैठकें हो रही हैं, जिसमें शीर्ष अधिकारी अपने अस्थिर पड़ोसी के प्रति नीति को लेकर गहन विचार-विमर्श कर रहे हैं। रणनीतिक विश्लेषक आमिर राणा ने कहा, "पाकिस्तान के लिए यह एक चेतावनी होनी चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तालिबान के कब्जे से पहले भारत अफगानिस्तान में एक प्रमुख प्लेयर था। नई दिल्ली ने पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए अफगानिस्तान में लगभग 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया था और उत्तरी गठबंधन के सदस्यों के भी नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध हैं।"
तालिबान के साथ बिगड़ रहे रिश्ते
राणा ने कहा, "भारतीय तालिबान के साथ सावधानी से काम कर रहे हैं और चीजें वास्तव में आगे बढ़ रही हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान अफगानिस्तान के खिलाफ आक्रामक है और हमारे द्विपक्षीय संबंधों में जबरदस्त गिरावट आई है। पाकिस्तान अपने पश्चिम में एक 'दुश्मन' पड़ोसी बर्दाश्त नहीं कर सकता। एक नजरिया यह है कि काबुल में लोगों के साथ संवाद करने के बजाय, इस्लामाबाद कंधार में तालिबान नेतृत्व के साथ टीटीपी मुद्दे को उठा सकता है क्योंकि असली शक्ति वहीं से आती है।"
किन मुद्दों पर है टकराव
बता दें अफगानिस्तान के प्रति पाकिस्तान की मौजूदा नीति, कम बातचीत और अधिक आक्रामक दृष्टिकोण अपनाने की है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के मुद्दे पर आमने-सामने हैं। टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी अभियान चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है। पाकिस्तान का अफगान तालिबान पर आरोप है कि वह टीटीपी विद्रोहियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने और उनकी आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करता है। हालांकि काबुल इन आरोपों का खंडन करता आया है।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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