तबाही की तरफ बढ़ रहा है पाकिस्तान, इमरान खान का लॉन्ग मार्च करा देगा गृह युद्ध !

पीटीआई चीफ इमरान खान का लॉन्ग मार्च 4 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा। उससे पहले गृहमंत्री राना सनाउल्लाह ने सीधे तौर पर अंजाम भुगतने की धमकी दी है।

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान जो कल तक बाजवा की हां में हां मिलाने वाले इमरान खान आज बाजवा के साथ ही पाकिस्तान की खुफिया एंजेंसी आईएसआई को भी पानी पी-पी कर कोस रहे हैं।इमरान खान ने पहली बार अपने ही आर्मी चीफ और ISI चीफ के खिलाफ सार्वजनिक मंच से बयानबाजी की है। इमरान ने पाकिस्तान सरकार और बाजवा के खिलाफ लॉन्ग मार्च निकालकर पाकिस्तान में बड़े फसाद को न्योता दे दिया है।इमरान खान लाहौर के लिबर्टी चौक से अपने 40 फीट लंबे स्पेशल रथ पर सवार होकर इस्लामाबाद की तरफ कूच तो कर गए हैं मगर सवाल यही है कि क्या अगले 48 घंटों में पाकिस्तान में कुछ बड़ा होने वाला है। क्योंकि इमरान के इस लॉन्ग मार्च से दो साल पुरानी मई 2020 वाली वो तस्वीरें ताजा हो गई हैं जब इसी तरह का आजादी मार्च लेकर निकले इमरान का लश्कर इस्लामाबाद में हिंसक हो गया था जिसके बाद इमरान को मार्च खत्म करना पड़ा था और ये जंग इसलिए हो रही है ताकि पाकिस्तानी आर्मी चीफ की पोस्ट पर अपने पसंदीदा शख्स को बैठाया जा सके यही कारण है कि जो इमरान सत्ता में रहते बाजवा की चरण वंदना करते नहीं थकते थे अब वो खुलकर उन्हें गद्दार कह रहे हैं लाहौर में मार्च शुरु करने से पहले इमरान ने आईएसआई की पोल खोलने की धमकी तक दे दी।ये सभी बातें बयां कर रही हैं कि इमरान फौज और आईएसआई से आरपार के मूड में हैं।
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डीजी आईएसआई के खिलाफ बयानबाजी

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डीजी आईएसआई कान खोलकर सुन लो मैं बहुत कुछ जानता हूं लेकिन सिर्फ इसलिए चुप हूं को अपने देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता..मैं बेहतरी के लिए आलोचना करता हूं वरना मैं बहुत कुछ कह सकता हूं। इमरान खान की डीजी आईएसआई कान खोलकर सुन लो मैं बहुत कुछ जानता हूं लेकिन सिर्फ इसलिए चुप हूं को अपने देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। मैं बेहतरी के लिए आलोचना करता हूं वरना मैं बहुत कुछ कह सकता हूं। इस वक्त पाकिस्तान में इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम के बीच कैसी तकरार चल रही है।उसे इस बात से समझिए कि इमरान खान के हमलों का जवाब देने के लिए आईएसआई के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट नदीम अंजुम को मीडिया के सामने आना पड़ा। अजीब बात है आप समझते हैं सेनाप्रमुख गद्दार हैं..लेकिन आप उन्हें ऑफर दे रहे हैं कि पूरी जिंदगी के लिए अगर आप आर्मी चीफ रहना चाहें तो रहे..और अगर वो वाकई आपकी नजर में गद्दार हैं..आपकी सोच में गद्दार हैं तो आज भी आप उनसे पर्दे के पीछे जाकर क्यों मिलते हैं..जनरल बाजवा चाहते तो अपने आखिरी 6-7 महीने बड़े आराम से गुजार सकते थे। वो ये फैसला ना करते आराम से नवंबर में रिटायर होकर चले जाते किसी को कोई परेशानी नहीं थी लेकिन उन्होंने फैसला मुल्क के हक में किया..वो फैसला किया जो देश के हित में है इसमें कोई दोराय नहीं कि आप किसी को मीरजाफर कहें मीर सादिक कहें तो इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है।
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