रेलवे के पास न तेल न वेतन देने के लिए पैसे, कंगाली की राह पर पाकिस्तान, कभी बरसते थे डॉलर

Pakistan News : पाकिस्तान में आर्थिक संकट इस कदर गहरा गया है कि सरकार के ज्यादा विभागों के पास अपना खर्च चलाने के लिए बजट नहीं बचा है। रेलवे की हालत तो और बुरी है। रिपोर्टों की मानें तो रेलवे के पास केवल तीन दिनों का ईंधन का रिजर्व बचा है।

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आर्थिक संकट में बुरी तरह फंस गया है पाकिस्तान।

Pakistan bankruptcy : लंबे समय से आर्थिक मोर्च पर घिरे पाकिस्तान की माली हालत अब पूरी तरह से खास्ता हो गई है। उसकी अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर पहुंच गई है। सरकार चलाने के लिए पर्याप्त भंडार नहीं हैं। शहबाज सरकार बचत करने के रास्ते पर निकल गई है। शहबाज सरकार ने खर्चे में कटौती एवं ऊर्जा में बचत करने के लिए मंगलवार को कई कदमों की घोषणा की। बजट के अभाव में रेलवे परिचलान पर असर पड़ा है। महंगाई की मार से आम आदमी तो पहले से परेशान था अब आर्थिक स्थितियां ऐसी बन गई हैं कि विशेषज्ञ पाकिस्तान को दिवालिया होने के रास्ते पर जाता देख रहे हैं।

1947 में भारत ने 55 करोड़ रुपए दिए

पाकिस्तान 1947 में भारत से अलग हुआ। अगल देश बनने के बाद से ही उसे भारत सहित दुनिया भर से आर्थिक मदद मिलनी शुरू हो गई। महात्मा गांधी के कहने पर भारत सरकार ने उसे 55 करोड़ रुपए दिए। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों, खाड़ी देशों, आईएमएफ और चीन से उसे समय-समय पर आर्थिक सहायता, कर्ज एवं अनुदान के रूप में भारी भरकम राशि मिलती रही। आतंकवाद से लड़ने के नाम पर पाकिस्तान को सबसे ज्यादा रकम अमेरिका से मिली। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं एवं विदेशों से मिली इस भारी भरकम राशि का इस्तेमाल यदि उसने सही तरीके से किया होता तो शायद उसे आज का दिन नहीं देखना पड़ता।

रेलवे के पास रिजर्व ईंधन नहीं बचा

पाकिस्तान में आर्थिक संकट इस कदर गहरा गया है कि सरकार के ज्यादा विभागों के पास अपना खर्च चलाने के लिए बजट नहीं बचा है। रेलवे की हालत तो और बुरी है। रिपोर्टों की मानें तो रेलवे के पास केवल तीन दिनों का ईंधन का रिजर्व बचा है। कुछ दिनों पहले रेलवे के तेल का स्टॉक केवल एक दिन के लिए बचा था। इसके चलते कराची से लाहौर के बीच मालगाड़ियों के संचालन में कटौती करनी पड़ी। रेलवे की बदहाली देखने के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी को कहना पड़ा कि सरकार यदि स्थितियों को यदि ऐसे ही नजरंदाज करती रही तो रेलवे को दिवालिया होने में समय नहीं लगेगा। यही नहीं रेलवे कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। उन्हें वेतन देने में 15 से 20 दिनों की देरी हो रही है।

विदेशी मुद्रा बढ़ाने का दबाव

पाकिस्तान सरकार पर अपने खर्चे कम करने और विदेशी मुद्रा बढ़ाने का दबाव बना हुआ है। जिओ टीवी की रिपोर्ट की मानें तो शहबाज सरकार आयातित होने वाली सभी वस्तुओं पर एक से तीन प्रतिशत तक टैक्स लगा सकती है। यही नहीं बैंकों की कमाई पर भी टैक्स लगाने की बात चल रही है।

अफगानिस्तान युद्ध के समय अमेरिकी ने की मदद

अफगानिस्तान युद्ध के समय से पाकिस्तान को अमेरिका से कोलिशन सपोर्ट फंड के नाम पर भारी भरकम आर्थिक सहायता मिलती रही। हालांकि, यह मदद 2018 से बंद हो गई। आतंकवाद से लड़ने के अलावा शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए पाकिस्तान को विदेशों से बड़ी राशि मिली। साल 2015 में उसे सर्वाधिक 64.9 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मिली। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफे और व्यापार घाटे में संतुलन लाने के लिए सऊदी अरब ने साल 2013 में उसे 1.5 अरब डॉलर का अनुदान दिया।

9/11 के बाद अमेरिका से खूब मिली मदद

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के ऊपर डॉलर की बारिश होती रही। साल 2002 से 2011 के बीच अमेरिकी कांग्रेस ने सैन्य एवं आर्थिक मदद के नाम पर 18 अरब डॉलर की मंजूरी दी। पश्चिमी देशों के अधिकारियों का दावा है कि 2002-2007 के बीच सैन्य सहायता की करीब 70 प्रतिशत राशि गलत तरीके से खर्च की गई। अमेरिकी से मिली आर्थिक सहायता को लेकर ज्यादातर पाकिस्तानी खुश नहीं हैं। लोगों का कहना है कि ये सहायता आम लोगों तक नहीं पहुंची। ये रकम भ्रष्ट तंत्र में खो गई।

मुल्क की इस हालत के लिए हुक्मरान जिम्मेदार

दरअसल, अपनी आजादी के बाद पाकिस्तान ने कभी भी अपने पैरों पर खड़े होने एवं एक स्वतंत्र देश के रूप में विकसित होने की कोशिश नहीं की। 1947 के बाद उसके जो भी हुक्मरान हुए उन्होंने देश की तरक्की के बारे में नहीं सोचा। उनकी सारी ऊर्जा एवं सोच भारत को नुकसान पहुंचाने तक ही सीमित रही। विदेशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता, अनुदान एवं कर्ज ने उन्हें एक तरीके से परजीवी बना दिया। उन्होंने सोचा कि बिना कुछ किए ही उन पर डॉलर की बरसात हो रही है, तो कुछ करने की क्या जरूरत है। वे अपनी जिओ-पॉलिटिक्स स्थिति को लेकर भी मुगालते में रहे। बीते दशकों में दुनिया से उन्हें जो मदद के नाम पर रकम मिली भ्रष्ट हुक्मरान उससे अपनी झोली भरते गए। आम लोगों एवं देश को उसके हाल पर छोड़ दिया। पाकिस्तान की इस हालत के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार उसके हुक्मरान हैं। इन्होंने देश की वास्तविक स्थिति अपने लोगों के सामने नहीं रखी और उन्हें गुमराह किया।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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