सिंधु जल संधि: भारत के नोटिस पर आया पाकिस्तान का बयान, जानें क्या कहा
Indus Water Treaty: भारत ने 30 अगस्त को पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजकर सिंधु जल संधि के 64 साल पुराने समझौते की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें उसने परिस्थितियों में मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों और सीमा पार से लगातार जारी आतंकवाद के प्रभाव का हवाला दिया था।
सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान का आया जवाब।
Indus Water Treaty: भारत द्वारा सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को औपचारिक नोटिस दिए जाने के बाद पाकिस्तान का जवाब आया है। पाकिस्तान ने कहा है कि वह इस समझौते को महत्वपूर्ण मानता है और उम्मीद करता है कि नयी दिल्ली भी 64 साल पहले हस्ताक्षरित इस द्विपक्षीय समझौते के प्रावधानों का पालन करेगा। नयी दिल्ली में बुधवार को सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत ने 30 अगस्त को पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजकर 64 साल पुराने समझौते की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें उसने परिस्थितियों में मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों और सीमा पार से लगातार जारी आतंकवाद के प्रभाव का हवाला दिया था।
भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की वार्ता के बाद 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि (आईडब्लूटी) पर हस्ताक्षर किये थे, जिसका एकमात्र उद्देश्य सीमा पार की छह नदियों का प्रबंधन करना था। सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रमुख समझौतों में से एक है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है और दोनों पड़ोसियों के बीच युद्धों और तनावों के बावजूद इसका पालन किया गया है। बता दें, पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों, चिनाब, झेलम और सिंधु से सम्पूर्ण जल प्राप्त होता है, जबकि भारत का सतलुज, व्यास और रावी नदियों पर पूर्ण अधिकार है। संधि के प्रावधानों के अनुसार, 207.2 अरब घन मीटर की कुल आपूर्ति में से, तीन आवंटित नदियों से भारत का हिस्सा 40.7 अरब घन मीटर या लगभग 20 प्रतिशत है, जबकि पाकिस्तान को 80 प्रतिशत मिलता है।
समझौतों के प्रावधानों के तहत ही उठाया जाए कदम - पाकिस्तान
भारत के नोटिस पर एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने यहां संवाददाताओं से कहा, पाकिस्तान सिंधु जल संधि को महत्वपूर्ण मानता है और उम्मीद करता है कि भारत भी इसके प्रावधानों का पालन करेगा। बलूच ने बताया कि दोनों देशों के बीच सिंधु जल आयुक्तों का एक तंत्र है और संधि से जुड़े सभी मुद्दों पर इसमें चर्चा की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि संधि से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए कोई भी कदम समझौते के प्रावधानों के तहत ही उठाया जाना चाहिए।
डेढ़ साल में भारत का दूसरी बार नोटिस
नयी दिल्ली में सूत्रों के मुताबिक, भारत द्वारा व्यक्त की गयी विभिन्न चिंताओं में से महत्वपूर्ण हैं जनसंख्या में परिवर्तन, पर्यावरणीय मुद्दे तथा भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता। भारत ने अपनी सीमा पर कई जलविद्युत परियोजनाओं की योजना बनाई है। भारत ने समीक्षा की मांग के पीछे एक कारण सीमापार से लगातार जारी आतंकवाद का प्रभाव भी बताया है। डेढ़ साल में यह दूसरी बार है जब भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। पिछले वर्ष जनवरी में भारत ने पाकिस्तान को पहला नोटिस जारी कर संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की थी, क्योंकि इस्लामाबाद कुछ विवादों को निपटाने में अड़ियल रवैया अपना रहा था। भारत ने पिछला नोटिस इसलिए जारी किया था क्योंकि वह मध्यस्थता न्यायालय की नियुक्ति से विशेष रूप से निराश था।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दुनिया (world News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेर...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited