दुर्दिन में पाकिस्तान को हर तरफ से पड़ रही 'मार', करीबी दोस्तों ने भी मुंह फेरा

Pakistan News: सवाल यह है कि भारत से बातचीत शुरू करने के लिए पाकिस्तान में इतनी छटपटाहट क्यों है। वह भारत से बातचीत करने के लिए क्यों उतावला है। इसकी एक प्रमुख और ठोस वजह है। पाकिस्तान में भूख, महंगाई, कर्ज की समस्या तो है ही, उसके करीबी देश चीन, सऊदी अरब एवं खाड़ी के देश उसकी मदद के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।

Shehbaz Sharif

Pakistan News: पड़ोसी देश पाकिस्तान कभी भी दिवालिया हो सकता है। कर्ज के बोझ से वह कराह रहा है। महंगाई की मार वहां की जनता तो झेल ही रही थी अब आटा, गेहूं लोगों को नसीब नहीं हो रहा है। बाहर से उसे फैसा मिलना बंद हो गया है। सरकार के पास अपने विभागों को चलाने के लिए पैसा नहीं बचा है। रक्षा बजट को छोड़कर अन्य विभागों के खर्चे में कटौती की जा रही है। विश्व बैंक ने कर्ज देने से हाथ खड़ा कर दिया है। अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं उसे कर्ज नहीं दे रही हैं। पाकिस्तान के पास कठिन शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से ही कर्ज लेने का रास्ता बचा है। यानि कि पाकिस्तान की मदद के लिए जितने भी रास्ते थे वे करीब-करीब बंद हो चुके हैं।

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भारत-यूएई के संबंधों के बारे में पाक को पता हैसंकट और दुर्दिन की इस घड़ी में पाकिस्तान को भारत की याद आई। बीते दिनों प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ यूएई के दौरे पर थे। उन्होंने भारत के साथ बातचीत शूरू करने में यूएई से मध्यस्थता की गुहार लगाई। शरीफ ने कहा कि उनका देश भारत के साथ तीन युद्ध लड़ा और इन युद्धों से उसे महंगाई, बेरोजगारी के अलावा कुछ नहीं मिला। इन जंगों से उसे सीख मिल गई है। पाकिस्तान को यह बात पता है कि भारत के यूएई के साथ अच्छे संबंध हैं। अगर वह दखल दे तो भारत उसके साथ बातचीत शुरू करने पर विचार कर सकता है।

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जनरलों का दबाव पड़ते ही यू-टर्न लियाहालांकि, शहबाज का यह बयान रावलपिंडी में बैठे सेना के जनरलों को बुरा लगा और उनका दबाव बढ़ते ही प्रधानमंत्री कार्यालय को सफाई देनी पड़ी कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के बाद ही भारत के साथ बातचीत शुरू हो सकती है। शहबाज शरीफ की ओर से शांति की बात करना अचानक से नहीं हुआ है और न ही पाकिस्तान का हृदय परिवर्तन हुआ है। दरअसल, पाकिस्तान घरेलू, अर्थव्यवस्था, कूटनीति सहित सभी मोर्चों पर बुरी तरह घिर और उलझ चुका है।

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