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जब 'चेतना' विषय पर फिलोसफर और न्यूरो डॉक्टर में लग गई बाजी, 25 साल बाद आया नतीजा

What is consciousness: चेतना क्या है इस विषय पर 25 साल पहले शराब के नशे में एक दार्शनिक और न्यूरो डॉक्टर में बाजी लगी। 25 साल के बाद नतीजा जब सामने आया तो फिलोसफर शख्स न्यूरो डॉक्टर पर भारी पड़ा और विजेता बनकर सामने आया। किसका तर्क भारी है इसके लिए न्यूयॉर्क में कांफ्रेंस आयोजित की गई थी।

David ChalmersDavid ChalmersDavid Chalmers

डेविड चाल्मर्स और क्रिस्टोफ में लगी थी बाजी

What is consciousness: 1998 का साल था, दो बड़ी शख्सियतों में से एक न्यूरो डॉक्टर(Christof Koch) और दूसरा दार्शनिक(David Chalmers) था। दोनों में एक शर्त लगी और उस शर्त का फैसला आने में 25 साल लग गए। 25 साल बाद फिलोसफर डेविड चाल्मर्स को अंतिम विजेता घोषित किया गया। अब सवाल यह है कि आखिर शर्त क्या थी और क्यों विजेता घोषित होने में 25 साल लग गए। जर्मनी के ब्रेमन बॉर में कुछ ड्रिंक लेने के बाद कॉफ ने कहा कि 2023 में कोई ना कोई इस बात की खोज करेगा कि ब्रेन के न्यूरॉन ही चेतना के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसी बात पर न्यूरो डॉक्टर क्रिस्टॉफ कॉफ और दार्शनिक डेविड चाल्मर्स की बहस हुई और बहस का स्तर मारपीट की ओर बढ़ चला। दोनों एक दूसरे से उलझ पड़े। न्यूरो डॉक्टर ने कहा कि चेतना के लिए न्यूरॉन्स जिम्मेदार होते हैं। जबकि चाल्मर्स ने दर्शन के पक्ष को सामने रखा।

दिलचस्प विषय पर लगी बाजी

नेचर की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क में आयोजित एसोसिएशन फॉर द साइंटिफिक स्ट्डी ऑफ कंसिसनेस पर कांफ्रेस में दार्शनिक चाल्मर्स को विजेता घोषित कर दिया गया। आईआईटी ने प्रस्तावित किया कि चेतना मस्तिष्क में एक 'संरचना' है जो एक विशिष्ट प्रकार की न्यूरोनल कनेक्टिविटी द्वारा निर्मित होती है जो तब तक सक्रिय रहती है जब तक एक निश्चित अनुभव, जैसे कि एक छवि को देखना, घटित होता है। ऐसा माना जाता है कि यह संरचना मस्तिष्क के पीछे, पोस्टीरियर कॉर्टेक्स में पाई जाती है।दूसरी ओर, जीएनडब्ल्यूटी ने सुझाव दिया कि चेतना तब उत्पन्न होती है जब सूचना एक परस्पर जुड़े नेटवर्क के माध्यम से मस्तिष्क के क्षेत्रों में प्रसारित की जाती है। सिद्धांत के अनुसार, संचरण एक अनुभव की शुरुआत और अंत में होता है और इसमें मस्तिष्क के सामने प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स शामिल होता है।

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