ब्रिटेन में गहराया बिजली संकट, इस सर्दी करना पड़ सकता ब्लैकआउट का सामना

Power crisis deepens in Britain: बिजली संकट या ब्लैकआउट की खबर पाकिस्तान, श्रीलंका या अफ़ग़ानिस्तान जैसे देशों से आना स्वाभाविक है, लेकिन बिजली संकट का डर अब ब्रिटेन को भी सताने लगा है।

POWER CUT

प्रतीकात्मक फोटो

मुख्य बातें
यूके समेत यूरोप के कई ऐसे देश हैं जो रूसी गैस आयात पर प्रतिबंधों के कारण गैस की कमी का सामना कर रहे हैं यूरोप के कई देश बंद पड़े कोयले से चलने वाले प्लांट को फिर से शुरू करने पर मजबूर कड़ाके की ठंड मे ब्लैकआउट से बचने के लिए वैकल्पिक तरीके तैयार कर रहे हैं लोग

यूरोप में कड़ाके की ठंड पड़ती है, जिसके कारण बिजली का उपयोग अधिक बढ़ जाता है, इसी बीच ब्रिटेन के बिजली और प्राकृतिक गैस नेटवर्क की प्रबंधन करने वाली कंपनी ने लोगों को चेतावनी दी है कि इस सर्दी ब्लैकआउट का सामना करना पड़ सकता है, जिसके कारण ब्रिटेन के लोग अभी से तयारियों मे जुट गए हैं।

ब्रिटेन के नैशनल ग्रिड के बॉस जॉन पेटीग्रेव ने एक अखबार से बात करते हुए इस बात की चेतावनी दी है कि इस सर्दी गैस स्टॉक कम होने पर जनवरी से घंटों के ब्लैकआउट देखे जा सकते हैं। हालांकि जॉन पेटीग्रेव ने ये भी कहा कि ब्लैकआउट की स्थिति तब आएगी जब ब्रिटेन नए साल के लिए यूरोप से पर्याप्त गैस लेने में विफल रहेगा।

क्या है बिजली संकट की वजह?

दरअसल ब्रिटेन रूस से आयात होने वाले गैस पर सीधे निर्भर नहीं है, बल्कि यूरोप के देशों से गैस और बिजली लेता है, जो क्रेमलिन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण कम हो गए हैं। पेटीग्रेव ने कहा कि ब्रिटेन के सभी बिजली स्टेशनों के लिए प्रयोग किए जाना वाला ईंधन, जनवरी तक खत्म होने के कगार पर है, जिसके चलते जनवरी और फरवरी के बेहद ठंडे दिनों मे ब्रिटेन को ब्लैकआउट का सामना करना पड़ सकता है।

ऊर्जा संकट से कैसे निपटेगा यूरोप?

ऊर्जा संकट को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने भी सर्दियों में कोयले से चलने वाले प्लांट्स के चलने की शर्तों में अस्थायी रूप से ढील दी है। इनमें से कुछ कोल प्लांट्स इस साल बंद होने वाले थे, लेकिन अब वे अगले आदेश तक काम करते रहेंगे। ठीक ब्रिटेन की तरह जर्मनी ने भी 27 कोयले से चलने वाले बिजली प्लांट्स को फिर से शुरू करने की मंजूरी दी है।

यहां तक कि ऑस्ट्रिया, इटली, नीदरलैंड और फ्रांस ने भी उन कोल प्लांट को फिर से शुरू कर दिया है जो पर्यावरणविदों के दबाव के बीच कार्बन इमिशन को कम करने के लिए बंद कर दिए गए थे।

कैसे शुरू हुआ यूरोप में ऊर्जा संकट

यूरोप के कई ऐसे देश हैं जो रूसी गैस आयात पर प्रतिबंधों के कारण गैस की कमी का सामना कर रहे हैं। साथ ही सितंबर में ही रूस ने ये कह दिया था कि वो यूरोप को अपने गैस की सप्लाई तब तक शुरू नहीं करेगा जब तक कि यूरोप के देश रूस के खिलाफ अपने प्रतिबंध नहीं हटाते। इसी तरह रूसी कंपनी GAZPROM ने गैस सप्लाई में रुकावटों के लिए पश्चिमी प्रतिबंधों को दोषी ठहराया, साथ ही कंपनी ने नॉर्ड स्ट्रीम के जरिए यूरोप के देशों को जाने वाली गैस पाइप लाइन में खराबी की वजह से गैस पाइपलाइन को अनिश्चित काल तक बंद कर दिया है। जिस से पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट गहराने लगा है।

संभावित ब्लैकआउट के बीच जनरेटर और टॉर्च की बिक्री में वृद्धि

नैशनल ग्रिड द्वारा दी गई ब्लैकआउट की चेतावनी के कारण अब यूरोप में जनरेटर, टॉर्च और हेड टॉर्च की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है । एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ ब्रिटेन में ही 2021 के अक्टूबर महीने की तुलना में जनरेटर की बिक्री में 203 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं टॉर्च की बिक्री में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही लोग गर्म पानी की बोतल, मोटे रजाई और थर्मल्स भी भारी संख्या में खरीद रहे हैं। मतलब साफ है की कड़ाके की ठंड मे ब्लैकआउट से बचने के लिए लोग वैकल्पिक तरीके तैयार कर रहे हैं ।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दुनिया (world News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

राहुल राज author

राहुल राज वर्त्तमान में टाइम्स नाउ में सीनियर रिपोर्टर के पद पर कार्यरत हैं। राहुल पिछले 7 साल से टीवी मीडिया से जुड़े हुए हैं। राहुल राजनीति, अंतरराष...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited