Riots In France:पेरिस का ग्लैमर,क्रांति का गवाह,फिर भी फ्रांस में दंगे,जानें क्या है वजह
Riots In France After World Cup Final: आधुनिक दुनिया में लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता जैसे अहम अधिकारों को आम लोगों को दिलाने में फ्रांसीसी क्रांति का अहम योगदान रहा है। 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रांति ने न केवल दुनिया को राजतंत्र के खिलाफ खड़े होने का हौसला दिया। बल्कि उसे खत्म करने की राह भी दिखाई।
फ्रांस में विश्वकप हार के बाद दंगे
मुख्य बातें
- पेरिस फैशन की राजधानी कहलाती है।
- फ्रांस में काफी सख्त है धर्मनिरपेक्षता का अमल।
- करीब 50 लाख मुस्लिम आबादी फ्रांस में रहती है।
Riots In France After World Cup Final: फ्रांस में एक बार फिर दंगे हो गए हैं। वजह फुटबाल विश्व कप का फाइलन बना है। लियोन मेसी की टीम अर्जेंटीना ने एम्बापे की टीम फ्रांस को पेनॉल्टी शूट ऑउट में हरा दिया है। फाइनल मैच के पहले सेमी फाइनल मैच के बाद भी फ्रांस में दंगे हुए थे। उस मैच में अफ्रीकी टीम मोरक्को की फ्रांस से हार हुई थी। दोनों मैचों की टीमों से साफ है कि फ्रांस में दंगे केवल उनकी टीम की हार से नहीं हुए, बल्कि जब फ्रांस की टीम मोरक्को से जीती तब भी दंगे हुए है। जाहिर है फ्रांस में दंगों की वजह कुछ और ही है, क्योंकि फुटबाल में हार पर प्रशंसकों द्वारा आगजनी की खबरें होती रहती है लेकिन फ्रांस की कहानी कुछ और ही है। जो कि वहां पर बढ़ते कट्टरवाद की वजह बन रही है।संबंधित खबरें
ग्लैमरस पेरिस और फ्रांसीसी क्रांति का गवाहसंबंधित खबरें
आधुनिक दुनिया में लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता जैसे अहम अधिकारों को आम लोगों को दिलाने में फ्रांसीसी क्रांति का अहम योगदान रहा है। 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रांति ने न केवल दुनिया को राजतंत्र के खिलाफ खड़े होने का हौसला दिया। बल्कि उसे खत्म करने की राह भी दिखाई। इसके अलावा क्रांति के दौरान तैयार हुआ मानव अधिकार घोषणा पत्र पूरी दुनिया में मानव आधिकारों के लिए नजीर बना। जिसमें समानता और स्वतंत्रता जैसे अधिकार मिले।संबंधित खबरें
अपनी आधुनिक सोच का ही परिणाम है कि फ्रांस की राजधानी पेरिस फैशन की राजधानी कहलाती है। दुनिया के मशहूर फैशन ब्रांड लुई विटॉन,L’Oréal Paris,गारनियर, ऑरेंज भी दुनिया को मिले। ऐसे में सवाल उठता है आधुनिकता और लोकतंत्र का संगम होने के बावजूद फ्रांस में दंगे क्यों हो रहे हैं..संबंधित खबरें
फ्रांस में काफी सख्त है धर्मनिरपेक्षतासंबंधित खबरें
फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता पर लाए गए 2004 और 2010 के कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपनी आस्था का सार्वजनिक प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं है। यही कारण है कि वहां पर सिखों को पगड़ी पहनने से रोका गया और मुस्लिम महिलाएं भी बुरका नहीं पहन सकतीं। 2014 में तो हिजाब को लेकर भी विवाद शुरू हो गया। इसी तरह फ्रांस की जनगणना में भी लोगों के धर्म को शामिल नहीं किया जाता। संबंधित खबरें
अगर फ्रांस की धर्मनिरपेक्षता की तुलना भारत से की जाय तो यह काफी अलग दिखती है। क्योंकि भारत में धर्मनिरपेक्षता का मतलब ऐसी नहीं है कि कोई अपने धर्म के अनुसार पगड़ी या बुरका नहीं पहन सकता।संबंधित खबरें
पैगंबर का अपमान बड़ा मुद्दासंबंधित खबरें
असल में फ्रांस में करीब 50 लाख से अधिक मुस्लिम आबादी रहती है। जो कि धर्म के आधार पर वहां की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। लेकिन फ्रांस की सख्त धर्मनिरपेक्ष कानून मुस्लिमों को नाराजगी की वजह बन रहा है। इसकी वह वहां मुस्लिमों और दूसरे वर्ग के लोगों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इसके बाद साल 2015 में पत्रिका चार्ली एब्दो ने पैगंबर मोहम्मद साहब के कार्टून छापे थे। जिसके बाद बंदूकधारियों ने उस पर हमला किया था। यह फ्रांस के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। संबंधित खबरें
फिर साल 2020 में सैमुअल पेटी नाम के शिक्षक का सर कलम किए जाने की घटना ने मुस्लिम और समाज के दूसरे लोगों के बीच खाई को और गहरा कर दिया। पेटी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ी एक क्लास में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए थे। जिसके बाद कुछ कट्टरपंथियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इसके अलावा इस दौरान फ्रांस में कई कट्टरपंथियों के हमले के मामले सामने आए।संबंधित खबरें
फोरम ऑफ इस्माल नया मुद्दासंबंधित खबरें
इस बीच राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रो ने फोरम ऑफ इस्लाम के गठन का ऐलान कर नई बहस छेड़ दी है। मैक्रो के समर्थकों का दावा है कि यह फोरम देश और यह 50 लाख मुसलमानों को सुरक्षित रखेगा और उन्हें विदेशी प्रभाव से भी बचाएगा। इसमें इमाम, आम आदमी और महिलाओं को शामिल किया गया है। दावा है कि इसके जरिए देश में इस्लाम को नया रूप देने की कोशिश की जा रही है और कट्टरपन को कम करने में मदद मिलेगी। हालांकि फ्रांस मुसलमानों की बड़ी आबादी इसका विरोध कर रही है। उसका कहना है कि धर्म उनकी फ्रेंच पहचान का ही एक हिस्सा है। नए कदम से भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा।संबंधित खबरें
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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