कम लागत में यूक्रेन में अब बड़ी तबाही मचा रहे पुतिन, बौखलाहट में हैं पश्चिमी देश
Russia Ukraine War : रूस के ड्रोन अटैक से यूक्रेन की चीखें निकल गई हैं। यूरोप के देश भी बिलबिला रहे हैं। यूरोप के देशों ने अब ईरान को टारगेट किया है और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। यूरोपियन यूनियन शाहिद एविएशन इंडस्ट्रीज पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है, जो कामिकाज़ी ड्रोन्स बनाती है।
यूक्रेन के लिए रूस ने अपनी युद्ध रणनीति बदल दी है।
- ड्रोन से लड़ाई में रूस को कम लागत आ रही है जबकि यूक्रेन को बड़ा नुकसान हो रहा है
- रिपोर्टों में कहा गया है कि हमलों के लिए रूस ने ईरान से बड़ी संख्या में घातक ड्रोन मंगाए हैं
- यूक्रेन के शहरों पर पहले पुतिन ने मिसाइल और बम गिराए, अब ड्रोन से बना रहे हैं निशाना
रूस ने गेरान-2 के नाम से रीब्रांड किया
शाहिद 136 ड्रोन को रूस ने गेरान-2 के नाम से रीब्रांड किया है। इसे फ्लाइंग बम भी कहा जाता है। क्योंकि इनके आगे का हिस्सा 30 से 50 किलोग्राम विस्फोटक से लैस होता है। टारगेट से टकराते ही विस्फोटक में धमाका होता है और इसी में टारगेट के साथ ड्रोन भी नष्ट हो जाता है। ये जीपीएस गाइडेड ड्रोन है, जो 2400 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं। यानी यूक्रेन के इलाके के बाहर से इन्हें यूक्रेन पर अटैक के लिए लॉन्च किया जा सकता है। ये ड्रोन्स इसलिए भी खतरनाक होते हैं, क्योंकि ये बहुत नीची और धीमी उड़ान भरते हैं। कम ऊंचाई में उड़ने और रफ्तार कम होने से इन्हें मार गिराना मुश्किल होता है। इनके Wings सिर्फ 2.5 मीटर लंबे होते हैं, जिन्हें रडार से पकड़ना भी मुश्किल होता है। अगर इन ड्रोन्स को बड़ी संख्या में झुंड के तौर पर अटैक के लिए भेज दिया जाए तो किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इनसे मुकाबला करना बहुत बड़ी चुनौती बन जाता है।
ड्रोन से यूक्रेन के अहम ठिकानों को निशाना बनाया
ईरान ने तो इस बात से इनकार किया है कि वो यूक्रेन युद्ध में रूस को हथियार दे रहा है। लेकिन अमेरिका और यूक्रेन की इंटेलीजेंस का दावा है कि रूस ने पहले ही ईरान को 600 ड्रोन का ऑर्डर दे दिया था। जिसमें से 250 से 300 ड्रोन को तैनात किया जा चुका है। पिछले हफ्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जी-7 देशों की मीटिंग के बीच दावा किया था कि ईरान को अतिरिक्त 2400 शाहिद ड्रोन के लिए रूसी सेना से ऑर्डर मिला है। ड्रोन अटैक से यूक्रेन के अहम इंफ्रास्ट्रक्चर निशाना बन रहे हैं। यूक्रेन के 30% पावर स्टेशन तबाह हो चुके हैं। यूक्रेन के कई शहरों में बिजली-पानी नहीं है। कई शहरों में लगातार ब्लैक आउट्स हो रहे हैं। लोगों को बिजली कम खर्च करने के लिए कहा जा रहा है। लोगों ने पीने का पानी इकट्ठा करने के लिए कहा जा रहा है।
ईरान को टारगेट कर रहे पश्चिमी देश
रूस के ड्रोन अटैक से यूक्रेन की चीखें निकल गई हैं। यूरोप के देश भी बिलबिला रहे हैं। यूरोप के देशों ने अब ईरान को टारगेट किया है और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। यूरोपियन यूनियन शाहिद एविएशन इंडस्ट्रीज पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है, जो कामिकाज़ी ड्रोन्स बनाती है। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन ने ईरान के सेना प्रमुख सहित तीन बड़े सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध का विचार किया है। पश्चिमी देशों के सपोर्ट से यूक्रेन के पास जितनी ताकत है, वो सब यूक्रेन अब रूस के ड्रोन हमलों के खिलाफ लगा रहा है।
यूक्रेन का दावा-मार गिराए ड्रोन
यूक्रेन ने इन ड्रोन अटैक को रोकने के लिए जो हथियार और उपकरण लगाए। उनमें मिग-29 विमान, सी-300 क्रूज मिसाइल और ग्राउंड डिफेंस सिस्टम शामिल है। ब्रिटिश इंटेलीजेंस के मुताबिक 6 अक्टूबर को रूस के 60% ड्रोन को यूक्रेन ने हवा में मार गिराया। Molfar नाम की एजेंसी के मुताबिक 17 अक्टूबर को रूस के 80% ड्रोन को यूक्रेन ने हवा में मार गिराया। 13 सितंबर से अब तक यूक्रेन की एयरफोर्स ने 223 Iranian-made ड्रोन्स मार गिराए। सोमवार को रूस ने यूक्रेन पर 43 ड्रोन से अटैक किया था जिसमें 37 ड्रोन्स नष्ट किए गए।
यूक्रेन को महंगी साबित हो रही ड्रोन की लड़ाई
लेकिन इससे रूस को बड़ा फर्क नहीं पड़ रहा। क्योंकि जो ड्रोन हमले सफल हो रहे हैं, वही रूस के लिए बड़ा काम कर रहे हैं। इसके अलावा ड्रोन नष्ट होने से रूस को परवाह इसलिए भी नहीं है क्योंकि इनकी कीमत बहुत कम है। यूक्रेन और पश्चिमी देशों की बौखलाहट इसलिए भी है क्योंकि इन ड्रोन की वजह से रूस पर युद्ध के खर्च का ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ रहा है। रूस को एक Iranian-made ड्रोन की कीमत 20,000 से 50000 यूरो पड़ती है। यानी 16 लाख से लेकर 40 लाख रुपये पड़ती है। एक आकलन के मुताबिक पिछले कुछ हफ्ते में यूक्रेन में रूस के जो ड्रोन गिरे, उन पर रूस का खर्च 12 मिलियन डॉलर यानी करीब 99 करोड़ रुपये रहा। लेकिन इन ड्रोन्स से लड़ने के लिए यूक्रेन ने जो हथियार लगाए हैं, उसमें यूक्रेन का खर्च करीब 28 मिलियन डॉलर यानी 232 करोड़ रुपये रहा। यानी कम खर्चे में रूस यूक्रेन के अंदर ज्यादा तबाही मचा रहा है।
सिर्फ गेरान-2 ही नहीं, रूस के पास और भी ड्रोन्स मौजूद हैं। रूस के पास भी छोटे 'ऑरलान-10' ड्रोन्स हैं जिनमें कैमरा और छोटे बम फ़िट किए जा सकते हैं। रूस के ऑरलान-10 ड्रोन्स 3 से 5 मिनट में दुश्मन के टारगेट को तबाह कर सकता है, दूसरे ड्रोन ऐसा करने में 20 से 30 मिनट का समय लेते हैं।
यूक्रेन के पास भी ड्रोन्स हैं- यूक्रेन के पास टर्की का 'बेरक्तार टीबी2' ड्रोन्स हैं।
- साइज़ में ये छोटे जहाज़ की तरह है, जिसमें कैमरा लगा होता है
- इसे लेज़र-गाइडेड बमों से भी लैस किया जा सकता है.
- इसका अधिकतम रेंज- 300 किलोमीटर है और ये 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है
- इसका विंग स्पैन- 12 मीटर का है और ये 7,600 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है
- युद्ध के शुरुआत में 'बेरक्तार टीबी2' ड्रोन्स ने रूस को काफी नुकसान पहुंचाया
- रूस के मोस्कवा युद्धपोत को डुबाने में भी इस ड्रोन का रोल बेहद अहम था
- यूक्रेन के पास 50 से भी कम 'बेरक्तार टीबी2' ड्रोन्स होने का दावा किया जा रहा है
मिलिट्री ड्रोन्स काफी महंगे होते हैं
- यूक्रेन के पास 'डीजेआई मैविक 3' ड्रोन्स है, इसकी कीमत करीब 1700 पाउंड है
- इसका विंग स्पैन- 28.3 मीटर का है और ये 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है
- इसकी अधिकतम रेंज- 30 किलोमीटर है और ये 68 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है
- 'डीजेआई मैविक 3' में छोटे बम तो लगाए जा सकते हैं लेकिन ये सिर्फ 46 मिनट तक उड़ान भर सकता है
- ये दुश्मन के ठिकानों का पता लगाने और सीधे हमले के लिए इस्तेमाल होता है
यूक्रेन को स्विचब्लेड ड्रोन्स की सप्लाई कर रहा अमेरिका- स्विचब्लेड ड्रोन ट्यूब से लॉन्च किया जाता है
- लॉन्च होने के बाद आसमान में खुल जाता है
- लक्ष्य के पास जाकर ये ड्रोन फट जाता है
- अमेरिका यूक्रेन के 100 टैक्टिकल स्विचब्लेड देने वाला है
- ये ड्रोन छोटे सुसाइड बॉम्बर होते हैं जो टारगेट में टकरा कर फट जाते हैं
- इसमें कैमरा लगा होता है जो टारगेट को खोजकर हमला कर सकते हैं
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