Russia-India Relation: यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों के परिजनों को 1.13 करोड़ देगा रूस, बचे नागरिकों को जल्द भेजा जाएगा भारत

पीएम मोदी ने रूस दौरे के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कई मुद्दों पर वार्ता की। पीएम मोदी ने पुतिन से द्विपक्षीय बैठक भी की, जहां आर्थिक मोर्चे से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी बात हुई। जिसके बाद भारत में रूसी दूतावास के प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने कहा कि परिवारों को मुआवजा अनुबंध संबंधी दायित्वों के अनुसार दिया जाना चाहिए था।

Russia-India Relation

यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों को मुआवजा देगा रूस

मुख्य बातें
  • यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों को मुआवजा देगा रूस
  • पीएम मोदी के दौरे पर उठा था भारतीयों के रूसी सेना में शामिल होने का मुद्दा
  • रूस ने भारतीयों को वापस भेजने का दिया आश्वासन

Russia-India Relation: पीएम मोदी ने रूस दौरे के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कई मुद्दों पर वार्ता की। पीएम मोदी ने पुतिन से द्विपक्षीय बैठक भी की, जहां आर्थिक मोर्चे से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी बात हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने युद्ध के दौरान रूसी सेना में भारतीयों को शामिल करने का भी मुद्दा उठाया। जिसपर रूसी राजदूत रोमन बाबुश्किन का अब बयान सामने आया है। रूस ने अपनी सेना में किसी अभियान के तहत भारतीयों को भर्ती की बात से साफ तौर पर इनकार किया है। भारत में रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा कि रूस ने अपनी सेना में भारतीयों को किसी अभियान के तहत शामिल नहीं किया और न वो ऐसा चाहता है। इसी के साथ राजदूत ने यह भी आश्वासन दिया कि चाहे जिस भी स्थित में भारतीय वहां की सेना में शामिल हुए हों, उन्हें जल्द भारत भेजा जाएगा।

35-50 भारतीय नागरिक अभी भी है युद्ध का हिस्सा

रूसी सरकार ने कहा है कि उसने युद्ध में मारे गए भारतीय नागरिकों के परिवारों को संविदात्मक दायित्वों के अनुसार मुआवजा देने की पेशकश की है। नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने इस बारे में कोई समयसीमा नहीं बताई कि युद्ध के मोर्चे पर फंसे भारतीयों को कब निकाला जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में मास्को की यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की थी। रूसी पक्ष ने युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीयों को तत्काल प्रभाव से वापस लाने का आश्वासन दिया। अनुमान है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान में 35-50 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनका कहना है कि उन्हें रूसी सेना में लड़ने के लिए धोखा दिया गया था। युद्ध के मोर्चे पर अब तक चार भारतीयों की मौत हो चुकी है, और भारत ने रूसी सेना में भारतीयों की और भर्ती पर रोक लगाने की मांग की है।

बाबुश्किन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि परिवारों को मुआवज़ा अनुबंध संबंधी दायित्वों के अनुसार होना चाहिए था, जिसमें इस तरह की चीजों की परिकल्पना की गई है। इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। यह खबर सनसनी नहीं होनी चाहिए कि मुआवज़ा उचित हाथों में जाना चाहिए। यह स्पष्ट नहीं है कि मृतकों के परिवारों को रूसी नागरिकता की पेशकश की गई थी या नहीं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि आप जिन लोगों का जिक्र कर रहे हैं, वे नागरिकता का दावा कर रहे हैं या नहीं। लेकिन कुछ विदेशी लड़ाके स्वेच्छा से आए थे, क्योंकि वहां एक प्रावधान था जो रूसी नागरिकता की सुविधा देता था।

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बता दें कि पीएम मोदी द्वारा ये मुद्दा उठाए जाने के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने सभी भारतीयों को स्वदेश भेजने की बात कही थी। राजदूत ने आगे कहा कि हमने किसी भी भारतीय को सेना में शामिल करने का अभियान नहीं चलाया और न ही कोई विज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि अभी अधिकतम सौ भारतीय वहां की सेना के साथ जुड़े हों, लेकिन रूस की सेना के आकार को देखते हुए यह बहुत ही कम है।

यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीय को मिल सकती है रूस की नागरिकता

राजदूत बाबुश्किन ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ है। उन्होंने कहा कि जहां तक भारतीयों के सेना में जाने की बात है तो बहुत संभव है कि वह किसी वाणिज्यिक समझौते के तहत वो शामिल हुए, क्योंकि वह कुछ पैसा कमाना चाहते थे। हम उन्हें भर्ती करना नहीं चाहते थे। जब राजदूत से ये पूछा गया कि यूक्रेन युद्ध में जो भारतीय मारे गए, क्या उन्हें रूसी नागरिकता दी जाएगी तो उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है क्योंकि कई बार समझौते में इस तरह की शर्ते होती हैं।

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Shashank Shekhar Mishra author

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