Russia-Ukraine War: रूसी आक्रामकता के बजाय NATO के विस्तार ने संघर्ष को भड़काया, जेफरी सैक्स ने अमेरिका को बताया जिम्मेदार

Russia-Ukraine War: सैक्स ने यूक्रेन युद्ध के कारणों पर चर्चा करते हुए तर्क दिया कि रूसी आक्रामकता के बजाय नाटो के विस्तार ने संघर्ष को भड़काया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की अमेरिकी नीति रूस की सैन्य कार्रवाइयों का मुख्य कारण थी।

रूसी आक्रामकता के बजाय NATO के विस्तार ने संघर्ष को भड़काया- जेफरी सैक्स

Russia-Ukraine War: रूस द्वारा यूक्रेन पर किया गया आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में किया गया सबसे बड़ा युद्ध है, जिसमें हजारों यूक्रेनी सैनिकों और निर्दोष नागरिकों का खून बहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते हैं कि आप विश्वास करें कि नाटो दोषी है। यूक्रेन में इतिहासकार, जेफरी सैक्स कहते है कि हम आम आदमी युद्ध के लिए रूस को दोषी मानते हैं। सैक्स ने यूक्रेन युद्ध के कारणों पर चर्चा करते हुए तर्क दिया कि रूसी आक्रामकता के बजाय नाटो के विस्तार ने संघर्ष को भड़काया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की अमेरिकी नीति रूस की सैन्य कार्रवाइयों का मुख्य कारण थी।

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रूस-यूक्रेन वॉर के लिए अमेरिका जिम्मेदार- जेफरी सैक्स

सैक्स ने आम धारणा को चुनौती दी है कि यूक्रेन में रूस की कार्रवाई बिना उकसावे के की गई थी। सैक्स ने कहा कि यह यूक्रेन पर व्लादिमीर पुतिन का हमला नहीं है, जैसा कि आज हमें बताया जा रहा है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन की भी आलोचना की और कहा कि वे लगातार रूस की कार्रवाइयों को बिना उकसावे के बताते रहे हैं। सैक्स ने कहा कि अमेरिका ने सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव से वादा किया था कि जर्मनी के एकीकरण के बदले में नाटो एक इंच भी पूर्व की ओर विस्तार नहीं करेगा। सैक्स के अनुसार, अमेरिका ने पोलैंड, हंगरी और चेक गणराज्य को शामिल करके नाटो विस्तार शुरू होने पर इस वादे को तोड़ दिया। उन्होंने 1999 में सर्बिया पर अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो बमबारी का भी उल्लेख किया, जिसका रूस ने विरोध किया था। सैक्स ने दावा किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो में शामिल होने पर भी विचार किया। उन्होंने तर्क दिया कि 2002 में जब अमेरिका ने एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि से एकतरफा रूप से वापसी की तो तनाव और बढ़ गया। इस कदम के कारण पूर्वी यूरोप में मिसाइल प्रणालियों की तैनाती हुई, जिसे रूस अपनी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानता था।

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