Russia Ukraine War: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक के बाद एक किए कई देशों के दौरे, मिला क्या?
Russia Ukraine War: रूस के साथ चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रोम, बर्लिन, पेरिस, लंदन, हिरोशिमा समेत कई देशों के दौरे किए। ऐसे में सवाल उठता है कि इन दौरों से क्या हासिल हुआ।
रूस के साथ युद्ध के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने किए कई देशों के दौरे
इसके जरिए जेलेंस्की को अपनी 10 सूत्री शांति योजना को पेश करने और रूस के आक्रमण की निंदा करने का मौका मिला, दूसरी ओर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अरब लीग को एक पत्र लिखकर खानापूर्ति की, जिसमें लीबिया, सूडान और यमन में जारी युद्ध में समर्थन की पेशकश की गई थी। हालांकि इस दौरान जेलेंस्की की शांति योजना के प्रति कोई खास प्रतिबद्धता नहीं दिखी और न ही रूस के खिलाफ कोई स्पष्ट रुख तय हुआ। लेकिन शिखर सम्मेलन में पारित जेद्दा घोषणापत्र में अरब नेताओं ने देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान का स्पष्ट रूप से जिक्र किया।
जेद्दा से, जेलेंस्की हिरोशिमा रवाना हुए। वहां पहुंचकर उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा की उपस्थिति में सभा को संबोधित किया। इस संबोधन के जरिए उन्हें ‘ग्लोबल साउथ’ के दो प्रमुख देशों भारत और ब्राजील तक अपनी बात पहुंचाने का अवसर मिला, जिन्होंने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है।
यह सकारात्मक लय 23 और 24 मई को यूक्रेन, अमेरिका और ब्रिटेन के रक्षा अधिकारियों के बीच अलग-अलग बैठकों में बनी रही। अपेक्षा के अनुरूप जी7 देशों के नेताओं ने आपस में चर्चा की और यूक्रेन पर अलग से एक बयान जारी किया, जिसमें रूस की पहले की तरह कड़ी निंदा की गई और यूक्रेन के समर्थन का संकल्प लिया गया। इन बैठकों में यूक्रेन के लिए समर्थन जारी रखने पर भी सहमति बनी। इसके बाद 25 मई को यूक्रेन रक्षा संपर्क समूह की 12वीं बैठक हुई। उम्मीद है कि इस बैठक में यूक्रेन को एफ-16 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह सैन्य तूफान से पहले की कूटनीतिक खामोशी है? स्पष्ट रूप से, यूक्रेन कम से कम अलंकारिक रूप से ही सही, अपने लंबे समय से प्रत्याशित आक्रामक रुख के लिए कमर कस रहा है। ऐसा लगता है कि जेलेंस्की के कूटनीतिक आक्रमण से उन्हें सैन्य समर्थन जुटाने में मदद मिली है और अब वह इस समर्थन का लाभ उठाकर रूस पर जोरदार सैन्य पलटवार करने की सोच रहे हैं। यूक्रेन को पश्चिमी देशों का साथ मिल रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन ग्लोबल साउथ के रुख में हल्का बदलाव आना भी कोई कम महत्वपूर्ण बात नहीं है। अरब लीग सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शिरकत करने और प्रधानमंत्री मोदी से प्रत्यक्ष रूप से बात करना जेलेंस्की के लिए महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत है।
लेकिन इससे रूस से लगी 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा पर जमीनी हालात नहीं बदलने वाले। रूस ने अब भी यूक्रेन के छठवें हिस्से पर कब्जा कर रखा है। यूक्रेन ने पिछले साल गर्मी के अंत में रूस पर जवाबी हमला किया था, जो काफी सफल रहा था, लेकिन छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी यह स्थिति बहुत अधिक नहीं बदली है। ऐसे में यूक्रेन के पास गर्मी के अंत में जोरदार हमला करने की तैयारियों के लिए कई महीने पड़े हैं। इस दौरान वह सैन्य आपूर्ति बढ़ाने, सैनिकों को प्रशिक्षित करने और अपनी शांति योजना के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल कर सकता है।
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