औपनिवेशिक युग में दबाई गईं भाषाएं आवाज उठा रही हैं, विश्व हिंदी सम्मेलन में जयशंकर बोले

Vishwa Hindi Sammelan : फिजी के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे भी मौजूद थे।

विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन करते विदेश मंत्री एस जयशंकर।

Vishwa Hindi Sammelan : फिजी के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे भी मौजूद थे। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों में स्वाभाविक है कि हमारा ध्यान हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं, उसके वैश्विक उपयोग और प्रचार प्रसार पर रहे। हम फिजी, प्रशांत क्षेत्र तथा गिरमिटियों देशों में हिंदी की स्थिति, IT, सिनेमा और साहित्य के हिंदी पर प्रभाव जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

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विश्व को सभी संस्कृतियों के बारे में जानकारी जरूरी-विदेश मंत्री

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विदेश मंत्री ने कहा कि वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति को पश्चिमीकरण के समान माना जाता था। ऐसी कई भाषाएं,परंपराएं जो औपनिवेशिक युग के दौरान दबा दी गई थीं, वह फिर से वैश्विक मंच पर आवाज उठा रही हैं। ऐसे में आवश्यक है कि विश्व को सभी संस्कृतियों और समाजों के बारे में जानकारी हो। हम में से कई लोग विदेशी परिवेश से जुड़े हुए हैं और आगे भी रहेंगे और हो सकता है वहां घर भी बसाएं। ऐसे में यह जरूरी है कि उन लोगों की पहचान और विरासत पर ध्यान दें जो अपनी मूल संस्कृति से दूर हैं और इन मुद्दों को बल देने के लिए भाषा को केंद्रित करना एक प्रभावी तरीका है।

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