Israel Iran Tension: इस्राइल और ईरान के तनाव से बदले पश्चिम एशिया के समीकरण

तेल अवीव का रवैया आने वाले जोखिमों में लेकर रूखा सा लगता है। किसी तरह की धमकी, कार्रवाई और रणनीति को लेकर तेल अवीव की शुरूआती प्रक्रिया उदासीन सी लगती है लेकिन जवाबी कार्रवाई इसके ठीक उलट होती है।

आक्रामक हैं, इस्राइली कार्रवाई

राम अजोर
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार एवं समसमायिक मामलों के विश्लेषक
मध्यपूर्व की दो बेजोड़ जंगी ताकतों का आमना-सामना कई संकटों और सामरिक समीकरणों का ताना-बाना बुन रहा है। बीते साल अक्टूबर महीने से शुरू हुई हथियारबंद झड़पों ने क्षेत्र में कई बड़े बदलावों की नींव रखी। फिलहाल ये तनातनी अपने अगले दौर में पहुंच चुकी है। ईरान और इज़राइल दोनों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जोरों पर है, दोनों ही एक दूसरे को कमजोर करके रणनीतिक फायदा उठाने की जुगत में लगे हुए है। इन टकरावों के बीच तेल अवीव लगभग सभी मोर्चों पर ताकतवर और आक्रामक बना हुआ है।

आक्रामक हैं, इस्राइली कार्रवाई

हाल में हमास के बड़े नेता हनियेह की हत्या से साफ हो गया कि तेहरान और तेल अवीव ने जंग के नियम कायदों को ताक पर रख दिया है। ये सब ईरान के नए राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने से पहले हुआ। इससे पहले इस्राइली खुफिया एजेंसियों ने दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास को नेस्तनाबूत कर दिया, साथ ही विदेशी सरजमीं पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के सीनियर कमांडर को भी ढ़ेर कर दिया। साफ है कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की खुलेआम धज्जियां दोनों ओर से उड़ायी जा रही है। कई मौकों पर इस्राइल की ओर से सफाई भी आती रही है, जैसे कि दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले को लेकर उसने बयान जारी किया कि उस इमारत को डिप्लोमैटिक दर्जा हासिल नहीं था, इसके अलावा हनियेह की हत्या को लेकर उसने चुप्पी साधे हुई है। बता दे कि तेल अवीव की ये सब कवायदें गाजा में चल रही कार्रवाईयों के इतर है।
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