बेहतर भविष्य के लिए उनकी लड़ाई मुझमें जिंदा है, ग्रांडपैरेंट्स डे पर कमला हैरिस ने लिखा भावुक संदेश

अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ग्रांडपैरेंट्स डे के मौके अपने दादा-दादी को याद किया। कमला ने बताया कि किस तरह उनके दादा अधिकारों की लड़ाई लड़ते थे।

Kamla Harris

कमला हैरिस ने यादें कीं साझा

Kamala Harris pens heartfelt Note: अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ग्रांडपैरेंट्स डे के मौके पर अपने दादा-दादी को याद करते हुए एक भावुक संदेश लिखा। कमला हैरिस ने कहा कि सार्वजनिक सेवा और बेहतर भविष्य के लिए लड़ने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनमें जिंदा है। इस मौके पर कमला हैरिस ने अपने दादा को याद किया जो एक सेवानिवृत्त सिविल सेवक थे और भारत की आजादी के लिए आंदोलन का हिस्सा थे। उनकी दादी ने जन्म नियंत्रण के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता फैलाई थी।

कमला ने दादा-दादी को किया याद

एक्स पर एक पोस्ट में कमला हैरिस ने कहा, भारत में अपने दादा-दादी से मिलने जाने वाली एक युवा लड़की के रूप में मेरे दादाजी मुझे सुबह की सैर पर ले जाते थे, जहां वह समानता के लिए लड़ने और भ्रष्टाचार से लड़ने के महत्व पर चर्चा करते थे। वह एक सेवानिवृत्त सिविल सेवक थे जो भारत की आजादी के आंदोलन का हिस्सा रहे थे। मेरी दादी ने जन्म नियंत्रण तक पहुंच के बारे में महिलाओं से बात करने के लिए पूरे भारत की यात्रा की और बेहतर भविष्य के लिए उनकी प्रतिबद्धता आज भी मेरे अंदर जीवित है। उन सभी को नेशनल ग्रांडपैरेंट्स डे की शुभकामनाएं, जो अगली पीढ़ी को आकार देने और प्रेरित करने में मदद करते हैं।

कमजोर बाइडन हटे, अब कमला मैदान में

राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अपनी उम्र को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच राष्ट्रपति पद की दौड़ छोड़ने के बाद हैरिस को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। खासकर जून में डोनाल्ड ट्रंप के साथ बहस में बाइडन के खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें उम्मीदवारी छोड़नी पड़ी। अगर राष्ट्रपति चुनी गईं तो 59 वर्षीय कमला हैरिस अमेरिकी इतिहास में राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला बन जाएंगी। वह किसी प्रमुख राजनीतिक दल द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित केवल दूसरी महिला उप-राष्ट्रपति हैं।

ट्रंप का कमला पर नस्लीय निशाना

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त को यह दावा करते हुए हैरिस पर हमला किया था कि वह वर्षों तक भारतीय विरासत की रहने के बाद, कुछ साल पहले ब्लैक हो गईं। वह हमेशा भारतीय विरासत की थी, और वह केवल भारतीय विरासत को बढ़ावा दे रही थी। कई साल पहले तक मुझे नहीं पता था कि वह ब्लैक थीं, अब वह ब्लैक हो गई हैं और अब ऐसे ही पहचानी जाना चाहती हैं। इसलिए मुझे पता नहीं, वह भारतीय हैं या ब्लैक हैं?
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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