चीन ने अमेरिका के लिए बढ़ाई चुनौती, तीन एस्ट्रोनॉट अपने स्पेस स्टेशन में 6 महीने रहकर लौटे

अंतरिक्ष की दुनिया में चीन, अमेरिका के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरा है। बाकी क्षेत्रों में भी दोनों के बीच आपसी प्रतिद्वंदिता जगजाहिर है।

चीन के अंतरिक्ष यात्री वापस धरती पर लौटे

Chinese Astronauts Return To Earth: चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने के बाद मंगलवार को पृथ्वी पर लौट आए। शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने कहा कि जिंग हैपेंग, झू यांगझू और गुई हाइचाओ गोबी रेगिस्तान के किनारे जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर के पास रिटर्न कैप्सूल से लौटे और सभी का स्वास्थ्य अच्छा है। स्टेशन का नया तीन-सदस्यीय दल पिछले सप्ताह तियांगोंग स्टेशन पर पहुंचा। स्टेशन का काम पूरा हो गया है, इसलिए नया दल मेडिकल और वैज्ञानिक प्रयोग करेगा और उपकरणों का रखरखाव करेगा।

चीन ने 2003 में पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन बनाया

चीन ने 2003 में अपना पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन बनाया था और 2030 से पहले चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बनाई है। इसक मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने वापस लाया है और चंद्रमा के कम खोजे गए सुदूर हिस्से पर चीन ने एक रोवर उतारा था। चीन की भविष्य की योजनाओं में ब्रह्मांड की गहराई से जांच करने के लिए एक नई दूरबीन भेजना भी शामिल है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर किए जाने के बाद चीन ने अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाया है। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर चीनी सैन्य नियंत्रण को लेकर अमेरिका ने उसे बाहर किया था। लेकिन चीन ने अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाकर नासा और अमेरिका को चुनौती दे डाली है।

अंतरिक्ष की दुनिया में चीन-अमेरिका का मुकाबला

अंतरिक्ष की दुनिया में चीन, अमेरिका के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरा है। दोनों के बीच आपसी प्रतिद्वंदिता जगजाहिर है। प्रौद्योगिकी, व्यापार, सैन्य और राजनयिक क्षेत्रों में दुनिया की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है, जिसमें दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का चीन का दावा और स्व-शासित ताइवान विवाद सबसे प्रमुख हैं। इस बीच, अमेरिका का लक्ष्य स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन जैसे निजी क्षेत्र की कंपनियों की सहायता से क्रू मिशन के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता के तहत 2025 के अंत तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्र सतह पर वापस लाना है। अपने चंद्र कार्यक्रमों के अलावा दोनों देशों ने मंगल ग्रह पर अलग-अलग रोवर भी उतारे हैं। इसके अलावा चीन एक एस्टेरॉयड पर अंतरिक्ष यान उतारने की अमेरिका की कामयाबी भी दोहराना चाहता है।

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