बराबरी वाली वैश्विक व्यवस्था कैसे बने? BRICS प्लस समिट में एस जयशंकर ने सुझाए 5 तरीके
BRICS Plus Summit 2024: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यही बात विकास बैंकों पर भी लागू होती है। इन बैंकों की कार्यशैली भी संयुक्त राष्ट्र की तरह प्रासंगिक नहीं रह गई है। सुधारों की इस दिशा में भारत ने अपनी जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान पहल की। हमें खुशी है कि भारत की इस पहल को ब्राजील आगे बढ़ा रहा है।
ब्रिक्स प्लस समिट 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर।
BRICS Plus Summit 2024: दुनिया में एक बराबरी वाली वैश्विक व्यवस्था कैसे बने इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पांच बातें सुझायी हैं। ब्रिक्स प्लस समिट में एस जयशंकर ने गुरुवार को एक बार फिर दोहराया कि दुनिया की मौजूदा वैश्विक व्यवस्था वर्तमान के चुनौतियों एवं हालात से निपटने में सक्षम नहीं है। इसमें सुधार और बदलाव की जरूरत है। ब्रिक्स की उपयोगिता एवं महत्ता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह समूह अपने आप में एक जवाब है। विदेश मंत्री ने कहा कि ब्रिक्स अपने आप में एक जवाब है कि विश्व की पुरानी व्यवस्था तेजी से बदल रही है। साथ ही अतीत की कई असमानताएं भी जारी हैं।
ग्लोबल साउथ के लिए अहम है ब्रिक्स-जयशंकर
जयशंकर ने कहा, 'वास्तव में, उन्होंने नए रूपों एवं घोषणाओं को स्वीकार कर लिया है। बात यह कि हम एक समान वैश्विक व्यवस्था कैसे स्थापित करें? इस दिशा में सबसे पहले यह कि हम स्वतंत्र स्वभाग वाले मंचों को विस्तार एवं उन्हें मजबूत करें। ब्रिक्स, ग्लोबल साउथ के लिए बड़ा योगदान दे सकता है। दूसरा, पहले से स्थापित संस्थाओं एवं व्यवस्था में हम सुधार करना होगा। खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थायी एवं अस्थायी श्रेणियों में सुधार करने की जरूरत है।'
'बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार की जरूरत'
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि यही बात बहुपक्षीय विकास बैंकों पर भी लागू होती है। इन बैंकों की कार्यशैली भी संयुक्त राष्ट्र की तरह प्रासंगिक नहीं रह गई है। सुधारों की इस दिशा में भारत ने अपनी जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान पहल की। हमें खुशी है कि भारत की इस पहल को ब्राजील आगे बढ़ा रहा है। तीसरा, उत्पादन के और केंद्र बनाते हुए हमें वैश्विक अर्थव्यवस्था को और लोकतांत्रिक बनाना होगा। चौथा, औपनिवेशिक समय के विरासत वाले वैश्विक बुनियादी संरचना में जो खामियां हैं, हमें उन्हें दूर करना है। विश्व के देशों को एक-दूसरे से जुड़ने के लिए एक नई बुनियादी संरचना की जरूरत है। सभी की भलाई के लिए और सभी की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे। पांचवां, हमें एक दूसरे के अनुभव एवं नए पहलों को साझा भी करना होगा।
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