दुनिया की ये 5 स्पेस एजेंसियां जो अंतरिक्ष में करती हैं बड़े-बड़े कारनामे, जानें कहां पर है ISRO
Space Agencies : भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इसरो है। इसकी स्थापना साल 1969 में हुई। अपनी शुरुआत के बाद से यह एजेंसी अंतरिक्ष में कई अहम कार्यक्रमों को अंजाम दे चुकी है। साल 1975 में इसने अपना पहला उपग्रह लांच किया।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA का बजट सबसे ज्यादा है।
Space Agencies : ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने एवं जीवन की संभावना तलाशने के लिए बीते कुछ दशकों में दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हुई है। ग्रहों, उपग्रहों पर सबसे पहले पहुंचने के लिए दुनिया के विकसित देश अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं तो वहीं भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अपने किफायती अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जरिए सफलता की सीढ़ी चढ़ रहा है। इसरो का चंद्रयान-3, चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर लैंडिंग करने वाला है। बुधवार की शाह छह बजकर चार मिनट पर वह 'सॉफ्ट लैंडिंग' करेगा।
चंद्रयान-3 की यह लैंडिंग ऐसे समय होने जा रही है जब रूस का अंतरिक्ष यान लूना-25 चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंड हो गया है। ऐसे में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर इसरो की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां हम दुनिया के कुछ अंतरिक्ष एजेंसियों के बारे में चर्चा करेंगे जिन्होंने स्पेस के क्षेत्र में अपने अभियानों को लेकर नाम कमाया है।
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA)
नासा, अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी है। इसका मुख्य काम अंतरिक्ष में संभावनाओं की तलाश एवं पृथ्वी के वातावरण का अध्ययन करना है। नासा की स्थापना 1958 में हुई। अपनी स्थापना के बाद से नासा कई अहम मिशन अंजाम दे चुका है। इनमें से उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की है। चांद पर वह कई मिशन भेज चुका है। नासा दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है। इसका सलाना बजट करीब 22,629 मिलियन डॉलर है। इसका बजट भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो से 15 गुना बड़ा है।
चाइना नेशनल स्पेश एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA)
नासा की तरह चीन की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनएसए ने हाल के वर्षों में कई अहम अभियानों को अंजाम दिया है। इस एजेंसी की स्थापना 1993 में हुई। इस कम अवधि में ही चीन की इस एजेंसी ने कई उपलब्धियां अपने नाम किए हैं। साल 2019 में चीन चंद्रमा के सुदूर इलाके में अंतरिक्षयान उतारने वाला पहला देश बना। साल 2020-21 में चीन ने मंगल मिशन पर काम करना शुरू किया। उसके इस मंगल मिशन में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर शामिल थे। लाल ग्रह पर अमेरिका के बाद रोवर उतारने वाला चीन दुनिया का दूसरा देश बन गया। वर्तमान में सीएनएसए का सलाना बजट करीब 11,000 मिलियन डॉलर है।
रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (Roscosmos)
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी को रोस्कोसमोस के नाम से जाना जाता है। यह अंतरिक्ष एजेंसी सोवियत स्पेस प्रोग्राम की अगली कड़ी है। शीत युद्ध के समय रूस की यह अंतरिक्ष एजेंसी अमेरिका के नासा को टक्कर देती थी। अंतरिक्ष में कदम रखने वाले यूरी गगरीन रूस के ही थे। हाल के वर्षों में रूस की यह अंतरिक्ष एजेंसी कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर काम कर रही है। Roscosmos की स्थापना 1991 में हुई।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO)
भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इसरो है। इसकी स्थापना साल 1969 में हुई। अपनी शुरुआत के बाद से यह एजेंसी अंतरिक्ष में कई अहम कार्यक्रमों को अंजाम दे चुकी है। साल 1975 में इसने अपना पहला उपग्रह लांच किया। इसरो की एक बड़ी उपलब्धि अपने रॉकेट से एक बार में 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया। इसरो दुनिया के उन चुनिंदा स्पेस एजेंसियों में शामिल है जो मंगल और चांद दोनों पर अपना मिशन लॉन्च कर चुका है। इसरो इस समय अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है।
यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA)
यूरोप की इस अंतरिक्ष एजेंसी में 22 देश शामिल हैं। ईएसए की स्थापना साल 1975 में हुई। इस अंतरिक्ष एजेंसी का मुख्यालय पेरिस में है। ईएसए में 2,200 इंजीनियर एवं वैज्ञानिक काम करते हैं। साल 2023 में इसका बजट बढ़कर करीब 4.9 अरब यूरो हो गया। ब्रह्मांड का अध्ययन करने के लिए यह एजेंसी अब तक कई उपग्रह, प्रोब्स एवं अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेज चुकी है। रोसेटा के विकास में ईएसए ने बड़ी भूमिका निभाई। रोसेटा को दुनिया के बेहतरीन अंतरिक्षयानों में से एक माना जाता है।
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