आतंक के मुद्दे पर यूएन में चीन ने की चालबाजी, लश्कर आतंकी को बचाया
संयुक्त राष्ट्र संघ में लश्कर आतंकी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए भारत और अमेरिका की तरफ से प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन चीन ने एक बार फिर वीटो कर दिया।
चीन पर भारत क्यों ऐतबार ना करे उसके पीछे कई वजह है। उन वजहों में से आतंकवाद के प्रति चीन का रुख है। भारत की तरफ से जब आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव लाया जाता है तो उसकी तरफ से ब्लॉक या वीटो कर दिया जाता है। यह चौथी बार है जब चीन ने 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति शासन के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को नामित करने के प्रस्तावों पर रोक लगा दी है।चीन ने भारत और अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के नेता शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है।
कौन है शाहिद महमूद
शाहिद महमूद एनआईए पुलिस स्टेशन दिल्ली में दर्ज फलाह-ए-इंसानियत टेरर फंडिंग मामले में शामिल है। एफआईएफ को 14 मार्च, 2012 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा लश्कर-ए-तैयबा की ओर से काम करने वाली आतंकवादी इकाई के रूप में नामित किया गया था। अक्टूबर 2020 में, भारत ने उसे 2019 में संशोधित यूएपीए, 1967 के तहत एक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया। लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा और एक संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादी ने धार्मिक/दान कार्यों की आड़ में धन भेजकर भारत में ठिकाने और हमदर्द बनाने की साजिश रची, जिसे बाद में भारत विरोधी और आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।
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चीन पहले भी लगा चुका है वीटो
पता चला है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत महमूद को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने दिसंबर 2016 में महमूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। हाल ही में चीन की तरफ से मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार साजिद मीर के मुद्दे पर भी अमेरिका और भारत के प्रस्ताव पर वीटो लगाया था। चीन इस तरह का कदम क्यों उठाता है इसके पीछे जानकार कहते हैं कि दरअसल इसके जरिए वो पाकिस्तान को बचाने की कोशिश करता है। चीन को यह पता है कि भारत इस तरह की दिक्कतों से अगर उलझा रहेगा तो उसे अपने विस्तार में मदद मिलेगी। अमेरिका के साथ भारत की नजदीकी भी चीन को नहीं भाता है। चीन की तरफ से लगातार इस तरह के प्रयास किए जाते हैं ताकि भारत अपनी ऊर्जा जो पूर्ण रूप से अपनी कामयाबी के लिए लगाता उसका थोड़ा हिस्सा इस तरह के गैर उत्पादक चीजों पर भी खर्च करना पड़े।
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