ट्रंप पर हमले की साजिश, आखिर कौन है जो रिपब्लिकन उम्मीदवार को चाहता है रास्ते से हटाना
US Presidential Election 2024 : दोस्तो, युद्ध का कारोबार बहुत बड़ा है। युद्ध में अरबों-खरबों डॉलर खर्च होते हैं। युद्ध चलता रहता है तो इसकी इंडस्ट्री और कारोबार चलता रहता है। युद्ध का फायदा किसी न किसी को होता है, उसी तरह उसके बंद होने से किसी न किसी को उसका नुकसान होता है। कोई तो है जो यह चाहता है कि यह युद्ध बंद न हो, यह चलता रहे और उसकी अकूत कमाई होती रहे।
डोनाल्ड ट्रंप पर हमले की कोशिश एक बार फिर हुई।
US Presidential Election 2024 : अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। बीते 15 सितंबर यानी रविवार को उन पर एक बार फिर हमले की असफल कोशिश हुई। बीते 13 जुलाई की घटना से सबक लेते हुए सीक्रेट सर्विस के एजेंटों ने इस बार कोई गलती नहीं की और राउथ पर गोली चलाई। एजेंटों की गोलीबाई से घबराए राउथ वहां अपनी राइफल, दो बैकपैक, निशाना लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक स्कोप और एक कैमरा छोड़कर भाग गया। हांलाकि थोड़ी देर में ही काउंटी पुलिस ने उसे पकड़ लिया। बताया गया कि वह यूक्रेन समर्थक है और रूस के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए लड़ाकों की भर्ती की। वह ट्रंप से नफरत भी करता है।
कौन ट्रंप को रास्ते से हटाना चाहता है?
सवाल है कि ट्रंप पर बार-बार हमले क्यों हो रहे हैं? कौन है जो उन्हें अपने रास्ते से हटाना चाहता है। अमेरिका में राजनीतिक हत्या कोई नई बात नहीं है। अमेरिकी राजनीतिक इतिहास की अगर बात करें तो वह खूनी रहा है। यहां राष्ट्रपतियों और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की हत्या हो चुकी है। किसी साजिश के तहत यदि ट्रंप पर हमले हो रहे हैं तो ये हमले आखिर करा कौन रहा है, कौन है जिसके आंखों में ट्रंप खटक रहे हैं और कौन है जो उन्हें राष्ट्रपति बनने से रोकना चाहता है।
24 घ्ंटे में युद्ध बंद कराने की बात कह चुके हैं ट्रंप
तो हमें लगता है कि इसकी एक बड़ी वजह ट्रंप का रूस-यूक्रेन युद्ध पर दिया गया बयान है। अपनी चुनावी रैलियों और प्रेसिडेंशियल डिबेट में ट्रंप कह चुके हैं कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीते तो 24 घंटे के भीतर वह इस युद्ध को बंद करा देंगे। 10 सितंबर को एबीसी न्यूज पर ट्रंप और डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच प्रेसिडेंसियल डिबेट हुई। इस डिबेट में जब युद्ध पर चर्चा शुरू हुई तो ट्रंप ने साफ-साफ कहा कि युद्धों में लाखों लोग मारे जा रहे हैं। वह इसे बंद करा देंगे। ट्रंप यही नहीं रुके रूस-यूक्रेन युद्ध का ठीकरा तो उन्होंने कमला हैरिस पर फोड़ दिया। ट्रंप ने कहा कि फरवरी 2022 में कमला, जेलेंस्की से मिली थीं और इनके वहां से निकलते ही तीन दिन बाद पुतिन ने हमला बोल दिया।
यूक्रेन पहुंचने वाली आर्थिक सहायता में भ्रष्टाचार
युद्ध का कारोबार बहुत बड़ा होता है। युद्ध में अरबों-खरबों डॉलर खर्च होते हैं। युद्ध चलता रहता है तो इसकी इंडस्ट्री और कारोबार चलता रहता है। युद्ध का फायदा किसी न किसी को होता है, उसी तरह उसके बंद होने से किसी न किसी को उसका नुकसान होता है। कोई तो है जो यह चाहता है कि यह युद्ध बंद न हो, यह चलता रहे और उसकी अकूत कमाई होती रहे। दरअसल, यूक्रेन को युद्ध लड़ने के लिए अमेरिका से अरबों डॉलर की सहायता मिलती आई है। यह पैसा यूक्रेन आता है। हथियार खरीदने के लिए यही पैसा फिर अमेरिका जाता है। यही नहीं, यूक्रेन के पुनर्निमाण में जो पैसा वहां खर्च होना चाहिए वह भी वहां नहीं हो रहा है। यूक्रेन को अमेरिका और नाटो देशों से जो आर्थिक राहत मिली है उसमें बंदरबाट और भ्रष्टाचार हुआ है, यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि बहुत बड़े इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट और जियोपॉलिटिक्स के महारथी शेमर हर्स ने कही है। अपनी एक रिपोर्ट में हर्स ने आरोप लगाया कि अमेरिकी एड के रूप में जो रकम यूक्रेन पहुंची, उसमें बंदरबाट और गबन हुआ। यूक्रेन के अधिकारी फर्जी कंपनियां बनाकर दुनिया भर से हथियार खरीद रहे हैं और वारे न्यारे कर रहे हैं। हर्स का कहना है कि इस बात की जानकारी सीआईए को भी है। हर्ष ने राष्ट्रुपति जेलेंस्की पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
ट्रंप से युद्ध बंद होने का खतरा
आपने देखा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगस्त के अंत में यूक्रेन गए थे। इसके पहले जुलाई में वह मास्को में पुतिन से मिलकर आए। युद्ध खत्म कराने के लिए उनकी पुतिन से बात हुई। फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पुतिन से मिलकर आए। यानी युद्ध खत्म कराने के लिए भारत की तरफ से ठोस पहल हो चुकी है लेकिन जेलेंस्की का रवैया ठीक नहीं लगता। भारत ने कहा कि वह शांति के लिए मध्यस्थता कर सकता है। लेकिन जेलेंस्की ने कहा कि भारत पहले रूसी आक्रमण की निंदा करे, भारत कहे कि पुतिन ने गलत काम किया। दोस्तो, जेलेंस्की को भी पता है कि भारत रूस की निंदा नहीं करेगा। बात यह है कि जेलेंस्की खुद नहीं चाहता कि यह युद्ध बंद हो। युद्ध बंद हो गया तो उसे अरबों डॉलर मिलने बंद हो जाएंगे। युद्ध जारी रहने में चीन का भी फायदा है। युद्ध चलता रहेगा तो अमेरिका और नाटो वहीं फंसे रहेंगे, उसकी तरफ इनका ध्यान कम जाएगा और वह अपने विस्तारवादी और नापाक एजेंडे पर आगे बढ़ता रहेगा। तो युद्ध न खत्म होने देने में कई किरदार हो सकते हैं। उन्हें लगता है कि ट्रंप अगर आ गया तो उनका खेल खत्म हो जाएगा। युद्ध से पैसा कमाने का जो नेक्सस है, वह ट्रंप पर हमलों के पीछे हो सकता है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में ट्रंप पर तीसरा हमला भी हो जाए, हालांकि, हम चाहेंगे कि हमारी यह आशंका गलत साबित हो।
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