राष्ट्रपति पद संभालते ही ट्रंप ने दिया झटका, अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकालने का ऐलान
पेरिस जलवायु समझौते का मुख्य दीर्घकालिक लक्ष्य पूर्व औद्योगिक स्तर से वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे, और यदि संभव हो तो इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है।
ट्रंप ने दिया झटका
Trump withdrawing US from Paris climate agreement: अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह एक बार फिर देश को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकाल रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर भी हस्ताक्षर कर दिए। उनके इस फैसले से वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने के लिए दुनिया भर के प्रयासों को झटका लगेगा और एक बार फिर अमेरिका अपने सबसे करीबी सहयोगियों से दूर हो जाएगा। ट्रंप के सोमवार को दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने के समय व्हाइट हाउस की यह घोषणा 2017 में ट्रंप की कार्रवाइयों की याद दिलाती है, जब उन्होंने घोषणा की थी कि अमेरिका वैश्विक पेरिस समझौते से बाहर हो जाएगा।
पेरिस जलवायु समझौते का लक्ष्य
पेरिस जलवायु समझौते का मुख्य दीर्घकालिक लक्ष्य पूर्व औद्योगिक स्तर से वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे, और यदि संभव हो तो इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है। वर्ष 2015 का पेरिस समझौता स्वैच्छिक है और यह देशों को कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने से ग्रीनहाउस गैसों के अपने उत्सर्जन में कटौती करने के लिए लक्ष्य प्रदान करने की अनुमति देता है।
पिछले महीने निवर्तमान जो बाइडन प्रशासन ने 2035 तक अमेरिका के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 60 प्रतिशत से अधिक की कटौती करने की योजना पेश की थी। यूरोपीय जलवायु फाउंडेशन के सीईओ और पेरिस समझौते के एक प्रमुख वास्तुकार लॉरेंस टुबियाना ने समझौते से अमेरिका के बाहर होने की योजना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन कहा कि जलवायु परिवर्तन को धीमा करने की कार्रवाई किसी भी एक देश की राजनीति और नीतियों से अधिक मजबूत है।
यूरोपियन क्लाइमेट फाउंडेशन ने जताई निराशा
यूरोपियन क्लाइमेट फाउंडेशन के सीईओ और पेरिस समझौते के प्रमुख वास्तुकार लॉरेंस टुबियाना ने योजनाबद्ध अमेरिकी वापसी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन कहा कि जलवायु परिवर्तन को धीमा करने की कार्रवाई किसी भी देश की राजनीति और नीतियों से अधिक मजबूत है। तुबियाना ने कहा, ट्रंप की कार्रवाई का वैश्विक संदर्भ 2017 से बहुत अलग है। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक परिवर्तन के पीछे अजेय आर्थिक गति है, जिसे अमेरिका ने हासिल किया है और नेतृत्व किया है, लेकिन अब इसके रुकने का जोखिम है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी को उम्मीद है कि प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का वैश्विक बाजार 2035 तक तीन गुना बढ़कर 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा। जलवायु संकट के प्रभाव भी बदतर हो रहे हैं। टुबियाना ने कहा, लॉस एंजिल्स में भयानक जंगल की आग नया रिमाइंडर है कि अमेरिकी हर किसी की तरह, बिगड़ते जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं।
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अमित कुमार मंडल author
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