सिर्फ इस वजह से यूक्रेन कर देगा सरेंडर, पुतिन के रुख से नाटो देश भी सहमे

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 9 महीने से चल रही लड़ाई बेनतीजा है। यूक्रेन के खेरसॉन को रूस खाली कर चुका है। लेकिन पुतिन का यह कदम किसी बड़े हमले की तरफ इशारा कर रहा है।

रूस-यू्क्रेन जंग अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।कभी रूस का पलड़ा भारी तो कभी किसी हिस्से में यूक्रेन की बाज़ी सेट।.बस यही हालात पुतिन को बेकरार और बेचैन कर रहे हैं. लेकिन पुतिन की ये बेचैनी दुनिया को महाविनाश की दहलीज पर ला देगी ये तय है क्योंकि रूस के भीतर अब ये बात ज़ोर पकड़ रही है कि कुछ भी हो लेकिन आर या पार करें।अगर जंग जीतने के लिए परमाणु धमाका ज़रूरी है तो वो भी करें।गर हमारे पास जीत दिलाने वाले हथियार हैं। तो उनका इस्तेमाल करना आश्चर्यजनक है। अगर ऐसा है तो फिर हमने उन्हें बनाया क्यों है। अगर हमे ऐसा लगता है कि हमारी जान की कोई अहमियत ही नहीं है।और अगर न्यूक्लियर हथियारों को इसलिए नहीं इस्तेमाल करना है ताकि पश्चिम के देश बचे रहें भले ही रूस खत्म हो जाए। ऐसा है तो फिर सारे एडवांस्ड हथियार बनाने बंद कर देने चाहिए। अगर इन हथियारों से आत्मरक्षा का मकसद ही पूरा नहीं होता। नहीं इस मुद्दे पर आपका तर्क गलत है। आत्मरक्षा निर्भर करती है सैन्य कार्रवाई से अगर आप ऐसी शर्तों से बंधे हैं जो स्वीकार्य ही नहीं हैं, वो भी उस स्थिति में जब आपके खिलाफ NATO जंग कर रहा हो और अपनी ताकत दिखा रहा हो। तब तो आपको अहसास हो जाना चाहिए की परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का वक्त आ गया है।

क्या रूस के वजूद को भी है खतरा

आप लोग इस तरह से लड़ रहे हैं। लेकिन ये कह रहे हैं कि हम परमाणु हमला नहीं करेंगे।मैं ज़रा इस बात को साफ कर दूं कि अगर रूस के वजूद को खतरा होता है। क्या अभी रूस के वजूद को खतरा है।बिल्कुल है।नहीं इस वक्त खतरा नहीं है।रुकिए।हमारी ज़मीन पर कब्जा हो गया है।ये वक्त सैन्य अभियान के भविष्य का है।नहीं नहीं ये वक्त हमारे देश के भविष्य का है।मुझे बताएं कि क्या आपके क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया गया है।ये तबतक आपका क्षेत्र नहीं होता है जबतक इसकी घोषणा नहीं हो जाती।एक मिनट रूकें। हमारा संविधान क्या कहता है। संविधान के अनुसार ये हमारा क्षेत्र है या नहीं? हमने अपने संविधान में इसकी घोषणा की है। जब हमने इसकी घोषणा कर दी है तो ये हमारा ही इलाका है।

लेकिन ये सैन्य अभियान के आधार पर किया गया है। तो क्या? क्या हमें अपना संविधान बदल देना चाहिए। क्या हमें हस्ताक्षर कर देना चाहिए। ये हमारा क्षेत्र नहीं है, ये आपका है। क्योंकि इसे खास परिस्थितियों में हासिल किया गया है।हमारे पास दुनिया में सबसे अच्छे हथियार हैं। लेकिन हम इन्हें इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। क्योंकि इन्हें असैन्य इस्तेमाल मान लिया जाएगा। हमारे संविधान के मुताबिक अपनी रक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के प्रयोग पर ये सवाल ही नहीं है कि वो इसे कैसे देखते हैं।हाल ही में रूस ने परमाणु हमला करने वाली धमकी दी थी।तब भी न्यूक्लियर वॉर का अलार्म बजा था।पुतिन ने इसके बाद सरमट-2 का टेस्ट किया था.।इस मिसाइल लॉन्च ने दुनिया को क्यों डराया है।क्योंकि यूक्रेन से जंग के दौरान ही पुतिन ने 15 परमाणुबम गिराने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल सरमट-2 का परीक्षण किया है।

  • दुनिया की सबसे शक्तिशाली मिसाइल सरमट-2 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है।
  • ये मिसाइल 200 टन से ज्यादा वजन के हथियार और न्यूक्लियर वॉरहेड्स ले जाने में सक्षम है।
  • सरमट एक साथ 15 से ज्यादा न्यूक्लियर वॉरहेड्स ले जा सकती है।
  • ये मिसाइल मात्र 6 मिनट के अंदर ही ब्रिटेन को तबाह कर सकती है।
  • ये पावरफुल मिसाइल धरती के किसी कोने में अटैक करने में सक्षम है।
  • ऐसे में सरमट रडार और ट्रैकिंग सिस्टम के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
  • सरमट-2 मिसाइल हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल को ले जाने की ताकत भी रखती है।
  • 25000 किलोमीटर प्रति घंटे की तूफानी रफ्तार से हमला करती है।

क्या इस वजह से यूक्रेन कर देगा सरेंडर

पुतिन के पास न्यूक्लियर बम है।रूस के एटमी खजाने में हजारों न्यूक्लियर बम हैं।ये दोनों बातें एकदम सच हैं। और ये भी सच है कि न्यूक्लियर बम चलाते ही यूक्रेन सरेंडर कर देगा।रूस के पास 2000 टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार हैं जिनको फाइटर प्लेन से गिराया जा सकता है। ऐसे मिसाइल सिस्टम हैं जिनसे न्यूक्लियर वॉरहेड लोड किया जा सकता है। टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन 1 किलोटन से लेकर 100 किलोटन तक के होते हैं। हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम 15 किलोटन का था।तो फिर आखिर वो क्या बात है जो पुतिन को रोक रही है। वो बात है एक्शन का रिएक्शन.।

कैलिनिनग्राद शहर से न्यूक्लियर अटैक की शुरुआत !

अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी ने एक एस्टीमेट जारी किया था. जिसके मुताबिक रूस ने यूक्रेन बॉर्डर में, क्रीमिया में, बेलारूस में कैलिनिनग्राद में और परमाणु सबमरीन्स में।जो अमेरिका के आसपास घूमती हैं।वहां पर न्यूक्लियर बम तैनात कर रखे हैं।अगर न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो कितनी जानें जाएंगी। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी ने बाकायदा एक एनिमेशन वीडियो बनाया था। जिसमें परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बारे में बताया गया था। पहला न्यूक्लियर अटैक रूस के कैलिनिनग्राद शहर से होगा, ये शहर जर्मनी के करीब है। इसके बाद रूस से अलग अलग इलाकों से लगभग 300 परमाणु हथियार पलेन और मिसाइल से NATO देशों पर गिरेंगे। इसके जवाब में यूरोप से लगभग 180 परमाणु बम रूस पर गिराए जाएंगे। इस दौरान 3 घंटे में दोनों तरफ से कुल 26 लाख लोगों की मौत होगी।इस हमले के बाद nato देश बर्बाद हो जाएंगे और फिर अमेरिका रूस पर परमाणु हमला करेगा। अमेरिका की तरफ से 600 परमाणु हथियार रूस पर गिराए जाएंगे। रूस भी अमेरिका को जवाब देगा औरइस न्यूक्लियर वॉर से अमेरिका और रूस में 45 मिनट में 34 लाख लोग मारे जाएंगे।

नाटो देशों को न्यूक्लियर वार का डर

दूसरी तरफ अमेरिका के न्यूक्लियर बम।जर्मनी में।पोलैंड में।और जहां नाटो सेनाएं हैं वहां हो सकते हैं।.फ्रांस के पास 290 न्यूक्लियर वेपन्स हैं जिसमें से उसने 280 तैनात कर रखे हैं।ब्रिटेन के पास 225 न्यूक्लियर वेपन हैं।जिसमें से उसने 120 परमाणु हथियार तैनात कर रखे हैं। अगर एक भी न्यूक्लियर मिसाइल दागी गई।तो सेकेंडों में दुनिया के कई हिस्सों से सैकड़ों परमाणु मिसाइलें दाग दी जाएंगी। जिनका टारगेट रूस ही होगा। न्यूक्लियर वॉर की तैयारी ये पुतिन भी जानते हैं।बाइडेन भी जानते हैं और यूरोप भी समझता है कि न्यूक्लियर वॉर होगी।आज नहीं तो कल मगर जरूर होगी और न्यूक्लियर वॉर से ही ये जंग खत्म होगी। इस जंग का सबसे ज्यादा इम्पैक्ट यूरोप पर खासकर जर्मनी पर पड़ राह है जहां पर चूल्हे जलाने की नौबत आ गई है। जर्मनी में गाइडलाइन्स जारी कर दी गई है कि ठंड के लिए पानी खाना अभी से जमा करना शुरू कर दें। यही हाल यूरोप के कई और देशों का भी है। पुतिन झुकेंगे नहीं।ज़ेलेन्स्की पीछे हटेंगे नहीं। भूखे मरने की नौबत आ गई है. यूरोप की। अगर पुतिन न्यूक्लियर वार का फैसला करते हैं, कैसे करेंगे, किस हथियार से करेंगे।

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