वापस आया अल नीनो, कहीं भारी बारिश तो कहीं लाएगा सूखा, वैज्ञानिकों ने दुनिया को चेताया
El Nino : यूएस नेशनल ओसेनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर की ओर से गुरुवार को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि तीन साल तक मौसम पर ला नीना का प्रभाव रहा है और इससे दुनिया के तापमान में थोड़ी कमी आई है, अब अल नीनो वापस आ गया है।
अल नीनो दुनिया का बढ़ाएगा तापमान।
तीन साल तक मौसम पर ला नीना का प्रभाव रहा
यूएस नेशनल ओसेनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर की ओर से गुरुवार को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि तीन साल तक मौसम पर ला नीना का प्रभाव रहा है और इससे दुनिया के तापमान में थोड़ी कमी आई है, अब अल नीनो वापस आ गया है। बता दें कि दक्षिण अमेरिका के तट के समीप पूर्वी प्रशांत महासागर के गर्म जल से अल नीनो की उत्पति होती है। समुद्र में जल के गर्म हो जाने पर सामान्य मौसम की हवा अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती है और इसकी वजह से अलग-अलग जगहों पर बेतरतीब मौसम का सामना करना पड़ता है।
2023-2024 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है गर्मी
एडवाइजरी में कहा गया है कि गत मई में अल नीनो की कमजोर दशाएं उत्पन्न हुईं और इससे भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के औसत तापमान में वृद्धि देखी गई। पिछली बार साल 2016 में अल नीनो का प्रभाव देखा गया। इस साल दुनिया को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ा। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन और अल नीनो से तापमान में होने वाली वृद्धि की वजह से 2023 अथवा 2024 में गर्मी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है।
अल नीनो की शुरुआत पर दो एजेंसियों का दिया हवाला
अल नीनो की शुरुआत की पुष्टि करने के लिए वैज्ञानिकों ने दो एजेंसियों की रिपोर्ट का हवाला दिया है। इनमें से एक NOAA और दूसरी ऑस्ट्रेलिया ब्यूरो ऑफ मेटियोरोलोजी है (BOM) है। अल नीनो के शुरुआत की घोषणा करने के लिए ये दोनों एजेंसियां अलग-अलग मापदंड अपनाती हैं। अल नीनो पर जारी अपने बुलेटिन में ऑस्ट्रेलिया की एजेंसी ने कहा कि इस साल अल नीनो आएगा, इसका 70 प्रतिशत अनुमान है।
अल नीनो के शुरुआती लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं
रिपोर्ट के मुताबिक अल नीनो के शुरुआती लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं। अल नीनो की वजह से जो शुष्क मौसम बना है उससे एशिया के खाद्य उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके प्रभाव से ऑस्ट्रेलिया में फसलों का उत्पादन 34 प्रतिशत कम हो सकता है। इसका असर मइंडोनेशिया के पॉम आयल एवं चावल के उत्पादन पर देखा जा रहा है। मलेशिया एवं थाईलैंड के पॉम आयल पर भी अल नीनो का नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। भारत जो कि अपनी रबी की फसलों के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर है, अल नीनो उस पर भी प्रभाव डालता है।
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