अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को नकारा, बराक ओबामा बोले- बेहद निराश हूं
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में जाति, धर्म, नस्ल की जगह योग्यता को वरीयता मिलनी चाहिए। अदालत ने आरक्षण को नकारा तो डेमोक्रेट्स भड़क उठे। वर्तमान राष्ट्रपति के साथ साथ पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने निराशा जताई।
बराक ओबामा, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से निराश हैं। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से उन लोगों की तरक्की का रास्ता बाधित होगा जो अलग रेस, समाज से आते हैं। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि अब कॉलेजों में नस्ल के आधार पर दाखिले नहीं होंगे। मेरिट में जो बेहतर होगा उसे कॉलेज में दाखिल होने का मौका मिलेगा। अमेरिका में इस विषय को विवादास्पद माना जाता रहा है, हालांकि कुछ लोगों को अदालत का फैसला रास आया है। ओबामा के साथ साथ राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रख रहे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी समाज में अभी भी भेदभाव है। दूसरी बात यह कि यह फैसला किसी सामान्य अदालत ने नहीं दिया है। यही नहीं उन्होंने कहा कि अगर आप इस फैसले में शामिल सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या को देखें तो 6 रुढ़िवादी और 3 उदारवादी हैं।
किसने क्या कहा- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बयान में कहा कि सकारात्मक कार्रवाई ने मिशेल और मेरे जैसे छात्रों की पीढ़ियों को यह साबित करने की अनुमति दी कि हम हमारे हैं। अब यह हम सभी पर निर्भर है कि हम युवाओं को वे अवसर दें जिनके वे हकदार हैं - और हर जगह छात्रों को नए दृष्टिकोण से लाभ उठाने में मदद करें-बराक ओबामा
- अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि कॉलेज प्रवेश में "सकारात्मक कार्रवाई" को समाप्त करने का अदालत का निर्णय "अवसर से इनकार" है।अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा, "हमारे देश की सर्वोच्च अदालत ने आज सकारात्मक कार्रवाई पर फैसला सुनाया और मैं इसके बारे में बोलने के लिए मजबूर महसूस कर रहा हूं। यह कई मायनों में अवसर से इनकार है-कमला हैरिस
- यह निर्णय "अमेरिका के लिए एक महान दिन" है। हमारे देश के लिए भविष्य की महानता सहित सफलता के लिए आवश्यक सभी चीजों और असाधारण क्षमता वाले लोगों को आखिरकार पुरस्कृत किया जा रहा है,'' वर्तमान रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया नेटवर्क पर लिखा-डोनाल्ड ट्रम्प
राष्ट्रपति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने "हाल के इतिहास में किसी भी अदालत की तुलना में बुनियादी अधिकारों और बुनियादी निर्णयों को उजागर करने के लिए अधिक काम किया है।बिडेन ने एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे यह अमेरिकी लोगों की बुनियादी मूल्य प्रणाली से बिल्कुल अलग लगता है-जो बिडेन
क्या है मामला
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो विश्वविद्यालयों में नस्ल-आधारित दाखिले को रद्द करने पर डेमोक्रेट और रिपब्लिकन की ओर से विपरीत प्रतिक्रियाएं आई हैं। जबकि राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि जब कॉलेज नस्लीय रूप से विविध होते हैं तो वे अधिक मजबूत होते हैं, उनके पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे अमेरिका के लिए महान दिन कहा।गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रवेश में नस्ल और जातीयता के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे दशकों पुरानी प्रथा को बड़ा झटका लगा, जिसने अफ्रीकी-अमेरिकियों और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ावा दिया। अदालत ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने आवेदन को तौलने में किसी आवेदक के व्यक्तिगत अनुभव पर विचार करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन मुख्य रूप से आवेदक की जाति के आधार पर निर्णय लेना अपने आप में नस्लीय भेदभाव है। मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने बहुमत की राय में लिखा कि हमारा संवैधानिक इतिहास उस विकल्प को बर्दाश्त नहीं करता है।
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ललित राय author
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