बांग्लादेश में फिर हिंसक प्रदर्शन, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन का किया घेराव; पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले

Bangladesh: बांग्लादेश के राष्ट्रपति के खिलाफ वहां की सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गया है। इसी क्रम में राष्ट्रपति भवन के बाहर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुये जिन्हें रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े। प्रदर्शनकारी ने कहा कि राष्ट्रपति हसीना की सत्तावादी सरकार के साथी हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

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बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा

Bangladesh: बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रपति भवन बंगा भवन को घेर लिया है। इससे पहले मंगलवार दोपहर को प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के लिए नेतृत्व करने वाले समूह, भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने ढाका में शहीद मीनार के मध्य एक रैली में राष्ट्रपति के इस्तीफे सहित 5 सूत्री मांगों की घोषणा की। बाद में रात में वे बंगा भवन की ओर बढ़े। सेना ने उन्हें बैरिकेड लगाकर रोक दिया। जानकारी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बैरिकेड्स हटाने की कोशिश की, जिन्हें रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। प्रोटेस्ट के लिये जमा हुई भीड़ को उग्र होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे।

प्रदर्शनकारियों ने संविधान को खत्म करने की मांग की

इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने बंगा भवन के बाहर धरना दिया और बांग्लादेश के राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाने शुरू कर दिए। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि राष्ट्रपति हसीना की सत्तावादी सरकार के साथी हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। मोहम्मद शहाबुद्दीन, जिन्हें मूल रूप से चुप्पू के नाम से जाना जाता है, बांग्लादेश के 16वें राष्ट्रपति हैं भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने मांग की है कि 1972 में लिखे गए संविधान को समाप्त किया जाना चाहिए और 2024 के संदर्भ में एक नया संविधान लिखने का आह्वान किया जाना चाहिए।

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छात्रों ने अवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा है कि शेख हसीना के नेतृत्व में 2024, 2018 और 2024 में होने वाले चुनावों को अवैध घोषित किया जाना चाहिए और इन चुनावों में जीतने वाले संसद सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने जुलाई-अगस्त के विद्रोह की भावना को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र की घोषणा की मांग की है। जुलाई में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसमें सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग की गई थी। बढ़ते विरोध के मद्देनजर, शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश के पीएम के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया था। 76 वर्षीय हसीना 5 अगस्त को भारत भाग गईं और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली।

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Shashank Shekhar Mishra author

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