किसने करवाई थी पाकिस्तान के पूर्व PM लियाकत अली खान की हत्या, सेना का था हाथ?

Liaquat Ali Khan Assassination: पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी के कंपनी बाग में हत्या कर दी गई थी। इनकी हत्या को लेकर कई थ्योरी है, लेकिन सबसे मजबूत थ्योरी सेना के हाथ होने को लेकर है। हालांकि इस हत्या को लेकर आजतक रहस्य बना हुआ है।

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पाकिस्तान के पहले पीएम थे लियाकत अली खान (फोटो- विकीपीडिया)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

Liaquat Ali Khan Assassination: लियाकत अली खान...पाकिस्तान (Pakistan) के पहले प्रधानमंत्री और बंटवारे से पहले भारत की अतंरिम सरकार के वित्त मंत्री, हरियाणा में जन्म हुआ था और रावलपिंडी में हत्या। इनके बारे में कहा जाता है कि जिन्ना के बाद पाकिस्तान में ये सर्वमान्य सबसे बड़े नेता थे, लेकिन इनकी कुछ नीतियों के कारण सेना और धार्मिक कट्टरपंथी इनसे नाराज रहते थे।

सेना की नाराजगी की वजह

लियाकत अली खान कश्मीर मामले का हल, युद्ध ने नहीं बल्कि बातचीत से चाहते थे। सेना के खिलाफ जाकर उन्होंने तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात की थी और लियाकत-नेहरू पैक्ट के नाम से समझौता किया था। इस समझौते से पाकिस्तान की सेना बहुत नाराज हुई, तख्तापलट की कोशिश भी की गई, लेकिन लियाकत अली खान ने उसे संभाल लिया।

कट्टरपंथी क्यों थे नाराज

मुस्लिम कट्टरपंथी लियाकत अली खान से बहुत नाराज थे। पहला कारण था कि लियाकत अली चाहते थे कि पाकिस्तान के संविधान में सभी धर्मों को बराबर का हक मिले, जबकि कट्टरपंथियों का कहना था कि जब देश का बंटवारा ही धार्मिक आधार पर हुआ है तो सभी धर्मों की बात कहां से आ गई? जिन्ना की मौत के बाद लियाकत अली के खिलाफ ये गुट ताकतवर हो गया था। दूसरी वजह थी कि लियाकत अली का जन्म भारत में हुआ था और भारत के मुसलमानों को पाकिस्तान में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था।

कैसे हुई हत्या

रावलपिंडी के कंपनी बाग में मुस्लिम लीग की सभा हो रही थी। लियाकत अली खान सभा को संबोधित करने वाले थे, लोगों की काफी भीड़ थी। हमले की आशंका थी, इसलिए सुरक्षा भी सख्त थी, सामने की कुर्सियों पर सीआईडी के लोग बैठे थे। लियाकत अली खान बोलने के लिए उठते हैं, तीन शब्द बोलते हैं कि सामने से गोली चल जाती है, दो गोलियां चलती हैं और लियाकत अली खान गिर जाते हैं। वहीं मौत हो जाती है। सुरक्षाकर्मियों ने एक अफगानी शख्स को हमालवर के रूप में बताते हुए गोली मार दी थी है।

सेना पर शक क्यों

सेना पर शक की कई थ्योरी है। पहला, सेना पहले से ही लियाकत अली खान से नाराज थी। दूसरा, जिस शख्स को हमलावर बताकर मारा गया था, उसके बारे में पुख्ता सबूत नहीं मिले। अगर वो सही में हमलावर था तो सीआईडी की कुर्सियों तक कैसे पहुंचा, क्योंकि वो सीआईडी में था ही नहीं। आरोपी को जिंदा क्यों नहीं पकड़ा गया, उसे मार क्यों दिया गया? जांच कर रहे अधिकारी जब इस मामले में सबूत जुटा चुके थे और प्लेन से कराची जा रहे थे, तो उनका प्लेन ही क्रैश कर गया और उनके साथ सबूत भी जल गए।

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शिशुपाल कुमार author

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