अमेरिका-NATO देशों से यूक्रेन को मिले ये हथियार, ट्रंप की रोक के बाद पश्चिमी देशों के सामने अब बड़ी चुनौती

US Weapons in Ukraine : यूक्रेन को मिलने वाली हर तरीके की मदद यानी सैन्य, मानवीय और अन्य वित्तीय सहायता को भी यदि इस एड में शामिल कर लिया जाता है तो भी यूक्रेन पर पैसा खर्च करने के मामले में अमेरिका सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन पर उसका खर्च करीब 120 अरब डॉलर का है। यह रकम युद्ध शुरू होने के बाद यानी 2022 के बाद यूक्रेन को जितनी आर्थिक सहायता मिली।

US weapon

रूस-यूक्रेन युद्ध का तीन साल से ज्यादा वक्त हो चुका है।

US Weapons in Ukraine : रूस-यूक्रेन युद्ध में एक सबसे बड़ी यात यह हुई है कि ट्रंप ने अब यूक्रेन को हथियार देने से मना कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले से मानो कि जेलेंस्की और यूरोपीय देशों पर बिजली गिर गई है। सबके हाथ-पांव फूल रहे हैं कि अब क्या होगा? अब तक अमेरिकी हथियारों से रूसी फौज का सामना करने वाली यूक्रेनी फौज आगे कब तक मोर्चा ले पाएगी? एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि अमेरिकी हथियारों के बिना यूक्रेन लंबे समय तक रूस के सामने टिक नहीं पाएगा। उसे हथियार डालने पड़ेंगे और कोई रास्ता निकालते हुए पीस डील करनी होगी। दरअसल, यूक्रेन को ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड जैसे यूरोपीय देशों ने भी यूक्रेन को हथियार दिए हैं, लेकिन इनमें हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश अमेरिका ही है।

यूक्रेन को सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका से मिले

यहां यह जानना जरूरी है कि रूस से युद्ध लड़ने के लिए किस देश ने कौन से हथियार यूक्रेन को दिए। तो यूक्रेन को सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका से मिले हैं। अमेरिका से उसे हथियार, तरह-तरह के सैन्य उपकरण और वित्तीय मदद मिली है। जर्मनी के किएल इंस्टीट्यूट का कहना है कि 2022 से 2024 के दौरान अमेरिका ने 69 अरब डॉलर की सैन्य आर्थिक मदद यूक्रेन को दी। वहीं, जर्मनी ने 13.6 अरब डॉलर, ब्रिटेन ने 10.8 अरब डॉलर, डेनमार्क ने 8.1 अरब डॉलर और नीदरलैंड ने 6.3 अरब डॉलर की सैन्य मदद दी। इन देशों के अलावा स्वीडन ने यूक्रेन को 5 अरब डॉलर, पोलैंड ने 3.9 अरब डॉलर, फ्रांस ने 3.8 अरब डॉलर, कनाडा ने 2.8 अरब डॉलर और फिनलैंड ने 2.5 अरब डॉलर की सैन्य मदद दी। ये रकम हथियार, सैन्य उपकरण खरीदने और सैन्य आर्थिक मदद के रूप में जारी की गई।

फंड देने में अमेरिका सबसे आगे

यूक्रेन को मिलने वाली हर तरीके की मदद यानी सैन्य, मानवीय और अन्य वित्तीय सहायता को भी यदि इस एड में शामिल कर लिया जाता है तो भी यूक्रेन पर पैसा खर्च करने के मामले में अमेरिका सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन पर उसका खर्च करीब 120 अरब डॉलर का है। यह रकम युद्ध शुरू होने के बाद यानी 2022 के बाद यूक्रेन को जितनी आर्थिक सहायता मिली, उसका 42 फीसद है। इस तरह यूक्रेन को मिले कुल आर्थिक सहायता की अगर बात करें तो इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 42.7 प्रतिशत, यूरोपीय यूनियन की 18.3 प्रतिशत, जर्मनी की 6.5 फीसद, ब्रिटेन की 5.5 प्रतिशत, जापान की 3.9 फीसद और अन्य की 23.1 प्रतिशत है।

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जाहिर है कि फंडिंग के मामले में अमेरिका का हिस्सा सबसे ज्यादा है। आगे यह अमेरिकी वित्तीय सहायता यूक्रेन को नहीं मिलेगी। ऐसे में युद्ध जारी रखने के लिए अमेरिकी मदद में आई कमी की भरपाई यूरोप और अन्य देशों को करनी होगी।

अमेरिका ने लंबी दूरी की मिसाइलें दीं

अमेरिका से यूक्रेन को मिले हथियारों की अगर बात करें तो यूएस ने उसे लंबी दूरी की ATACMS मिसाइलें दी हैं। युद्ध में यूक्रेन ने इस मिसाइल का इस्तेमाल भी किया है। इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर तक की है। इसके अलावा यूएस ने मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम हिमरास दिए हैं। इसकी मारक क्षमता 80 किलोमीटर तक है। जबकि M777 होवित्जर तोप 40 किलोमीटर तक मार कर सकता है। वहीं, ब्रिटेन और फ्रांस ने यूक्रेन को स्टॉर्म शैडो मिसाइलें दी हैं, इसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर है। यूक्रेन ने यह मिसाइल भी रूस पर दागी है। किएल इंस्टीट्यूट का कहना है कि यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को 80 से ज्यादा मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम भी भेजे हैं। इनके अलावा यूक्रेन को 500 से ज्यादा फील्ड गन भी मिले हैं।

जंग में नजर आए अमेरिकी F-16

फाइटर प्लेन की अगर बात करे तो पश्चिमी देशों से यूक्रेन को अमेरिकी एफ-16 फाइटर प्लेन मिले। बेल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैंड और नार्वे जैसे नाटो के देशों ने कहा कि वे आने वाले समय में अमेरिकी निर्मित और लड़ाकू विमान यूक्रेन को मुहैया कराएंगे। बीत अगस्त में यूएस ने अपने एफ-16 लड़ाकू विमानों को यूक्रेन भेजने की इजाजत दे दी। अमेरिका की मंजूरी मिलने के बाद नाटो के देश यूक्रेनी पायलटों को ट्रेनिंग देते आए हैं।

जर्मनी ने अपने लियोपर्ड टैंक दिए

यह बात सभी को पता है कि 24 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ड्रोन, मिसाइलों और फाइटर प्लेन से यूक्रेन पर बमबारी करता आया है। इन हवाई खतरों से निपटने के लिए अमेरिकी और पश्चिमी देशों की ओर से उसे तरह-तरह के एयर डिफेंस सिस्टम दिए गए। ब्रिटेन ने उसे शार्ट रेंज एंटी एयरक्रॉफ्ट वेपन स्टारस्ट्रेक और पैट्रियट मिसाइल सिस्टम दिए। जबकि जुलाई 2023 में अमेरिका ने यूक्रेन को क्लस्टर बम की आपूर्ति की। इसके साथ ही यूक्रैन की ऑर्टिलरी की मारक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अमेरिका ने उसे अपने 14 चैलेंजर 2एस टैंक दिए। तो वहीं, यूरोपीय देशों ने जर्मन निर्मित लियोपर्ड-1 और लियोपर्ड -2 टैंक भेजे। इनकी संख्या 200 से ज्यादा बताई जाती है। अमेरिका और ब्रिटेन ने एंटी टैंक मिसाइल जैवलिन और न्ला की खेप भेजी। इन दोनों हथियारों ने कीव की तरफ बढ़ रही रूसी फौज को रोकने में बड़ी भूमिका निभाई।

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अब अमेरिकी मदद की भरपाई करनी होगी

चाहे सैन्य मदद की बात हो या आर्थिक मदद की। दोनों ही मदद में अमेरिका की हिस्सेदारी बाकी देशों की तुलना में कहीं ज्यादा है। रूस से युद्ध लड़ने के लिए यूक्रेन को जितने पैसे और हथियार की जरूरत रही है, उसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता रहा है। लेकिन अब न तो उसे अमेरिकी हथियार मिलेंगे और न ही अमेरिकी पैसा। ऐसे में इस हथियार और पैसे की भरपाई कहीं और से करनी होगी। यूरोपीय और नाटो देशों के सामने इन दोनों चीजों की आपूर्ति करना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि उन्नत और घातक हथियारों के लिए वे खुद ही अमेरिका पर निर्भर हैं। या कहिए कि अमेरिका जैसे शानदार और रूस का मुकाबला करने के लिए जिस तरह के हथियार होने चाहिए, उनके पास नहीं है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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