क्या है क्यूबा मिसाइल क्राइसिस, जिसकी संकट में घिरी दुनिया को बाइडेन ने दिलाई याद
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि परमाणु हमले को लेकर रूस जो चेतावनी दे रहा है, वो मजाक नहीं है। बाइडेन ने कहा कि क्यूबा मिसाइल संकट के बाद ये पहली बार है जब हम परमाणु हमले के खतरे का सामना कर रहे हैं। रूस को रोकना बहुत जरूरी है।
क्या है क्यूबा मिसाइल संकट (@pixabay)
- यूक्रेन के साथ जंग में पिछड़ रहा है रूस
- इसी कारण से पुतिन कर सकते हैं परमाणु हमला
- यूक्रेन के चार क्षेत्रों को अपने में मिला चुका है रूस
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दुनिया का ध्यान एक बार फिर से उस संकट की ओर दिला दिया है, जिससे तीसरा विश्वयुद्ध होते-होते रह गया था। बाइडेन ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में बोलते हुए कहा कि दुनिया क्यूबा मिसाइल संकट के बाद पहली बार परमाणु युद्ध के मुहाने पर है। इस जंग में पुतिन पिछड़ रहे हैं, जिससे परमाणु हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है।
क्या है क्यूबा मिसाइल क्राइसिस
घटना अक्टूबर 1962 की है। शीतयुद्ध का दौर था। क्यूबा पर अमेरिका हस्तक्षेप कर रहा था, वहां की फिदेल कास्त्रो सरकार को अमेरिका गिराना चाहता था और कास्त्रो का मारना भी चाहता था। अमेरिका से डरा हुआ क्यूबा सोवियत संघ के पास पहुंच गया। दोनों ही देशों में कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार, गहरी दोस्ती हो गई। सोवियत संघ ने क्यूबा को अमेरिका से रक्षा करने का वादा कर दिया। क्यूबा को आर्थिक मदद मिलने लगी और अब कास्त्रो अमेरिका के सामने सीना ताने खड़े थे।
जब अमेरिका को लगा डर
इस घटना से पहले अमेरिका, रूस को घेरने के लिए इटली और तुर्की में परमाणु मिसाइलें तैनात कर चुका था। सोवियत संघ को इसकी जानकारी थी। सोवियत संघ के पास सीधे अमेरिका तक पहुंच वाली परमाणु मिसाइलों की संख्या काफी कम थी। क्यूबा जब सोवियत संघ के पास आया तो उसे एक मौका नजर आया। सोवियत संघ ने क्यूबा में अपनी परमाणु मिसाइलों को तैनात कर दिया। अब अमेरिका के अंदरूनी भाग तक सोवियत संघ हमला कर सकता है। पहले तो अमेरिका बेखबर रहा, लेकिन जैसे ही उसे इसकी जानकारी लगी, हालत खराब हो गई। क्यूबा जाने वाली जहाजों को उसने समुद्र में रोकर तलाशी लेना शुरू कर दिया। इसके बाद सोवियत संघ के साथ तनातनी शुरू हो गई। लगा अब हमला होगा कि तब हमला होगा। 13 दिन तक ऐसे ही हालात बने रहे।
ऐसे खत्म हुआ तनाव
इसके बाद सोवियत प्रमुख निकिता ख्रुश्चेव और अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बीच 'गुप्त' समझौता हुआ। इसके बाद सोवियत संघ ने क्यूबा से मिसाइलें हटा लीं, बदले में अमेरिका ने वादा किया कि वो क्यूबा में दखल नहीं देगा और सोवियत संघ के नजदीकी देशों में तैनात मिसाइलों को हटा लेगा। इसके बाद क्यूबा मिसाइल संकट खत्म हो गया।
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