क्या है हंता वायरस और कैसे फैलता है संक्रमण? जिसने ली जीन हैकमैन की पत्नी की जान
Hantavirus: ऑस्कर पुरस्कार विजेता अभिनेता जीन हैकमैन की पत्नी बेट्सी अराकावा की हंता वायरस संक्रमण से हाल ही में मौत हुई थी। पूरी दुनिया में पाया जाने वाला हंता वायरस रोडेन्ट (चूहे की प्रजाति) के मल या मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्रों के अनुसार, यह वायरस गंभीर और कभी-कभी जानलेवा फेफड़ों के संक्रमण का कारण बन सकता है, जिसे 'हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम' कहा जाता है।

क्या है हंता वायरस
Hantavirus: ऑस्कर पुरस्कार विजेता अभिनेता जीन हैकमैन की पत्नी बेट्सी अराकावा की हंता वायरस संक्रमण से हाल ही में मौत हुई थी। पूरी दुनिया में पाया जाने वाला हंता वायरस रोडेन्ट (चूहे की प्रजाति) के मल या मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है। इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन समय पर चिकित्सा सहायता से बचने की संभावना बढ़ सकती है। यह संक्रमण तेजी से बढ़ता है और जानलेवा हो सकता है।
'फ्लू की तरह होता है वायरस'
डलास में यूटी साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर में काम करने वाली डॉ. सोनजा बार्टोलोम ने कहा, ''यह वास्तव में फ्लू की तरह शुरू होता है, जिसमें पहले शरीर में दर्द होता है और कुल मिलाकर आपको अच्छा सा महसूस नहीं होता। बीमारी की शुरुआत में, आप वास्तव में हंता वायरस और फ्लू के बीच अंतर नहीं बता पाएंगे।''
हंता वायरस क्या होता है?
अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्रों के अनुसार, यह वायरस गंभीर और कभी-कभी जानलेवा फेफड़ों के संक्रमण का कारण बन सकता है, जिसे 'हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम' कहा जाता है। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्रों ने 1993 में फोर कॉर्नर क्षेत्र में इस संक्रमण के प्रकोप के बाद इस वायरस पर नजर रखना शुरू किया था। फोर कॉर्नर क्षेत्र में एरिजोना, कोलोराडो, न्यू मैक्सिको और यूटा आते हैं।
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वर्षों से इस बीमारी का अध्ययन कर रहीं और रोगियों की मदद में जुटीं न्यू मैक्सिको स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र की पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. मिशेल हार्किंस ने कहा, ''यह भारतीय स्वास्थ्य सेवा के एक विद्वान चिकित्सक थे, जिन्होंने पहली बार इंसानों की मौतों के पैटर्न को देखा।'' उन्होंने कहा कि वे स्वस्थ थे, उन्हें कोई चिकित्सा समस्या नहीं थी और वे दिल का दौरा पड़ने की समस्या से अस्पतालों में आ रहे थे।
कब दिखाई देते हैं लक्षण
हार्किंस ने कहा कि इस वजह से सीडीसी की भागीदारी को बढ़ावा मिला, क्योंकि विशेषज्ञ यह पता लगाने के लिए काम कर रहे थे कि रोगियों में क्या समानता थी। सीडीसी के अनुसार, संक्रमण के एक से आठ सप्ताह बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं और शुरुआत में थकान, बुखार और मांसपेशियों में दर्द शामिल हो सकते हैं। सीडीसी ने बताया कि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षणों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में पानी भरने के कारण सीने में जकड़न जैसी परेशानियां हो सकती है।
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सीडीसी के मुताबिक, बीमारी से श्वसन संबंधी लक्षण विकसित होने वाले लगभग एक तिहाई लोगों की मौत हो सकती है। सीडीसी ने बताया कि रोगाणु से बचने का सबसे अच्छा तरीका रोडेन्ट और उनके मल के संपर्क को कम करना है। इसके मुताबिक, रोडेन्ट के मल को साफ करने के लिए सुरक्षात्मक दस्ताने और ब्लीच के घोल का उपयोग करें। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ झाड़ू लगाने या वैक्यूम करने से सावधान करते हैं क्योंकि इससे वायरस हवा में फैल सकता है।
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