कोरोना के नए स्ट्रेन JN.1 को WHO ने 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' की लिस्ट में किया शामिल; जानिए इसका मतलब

Corona New Variant: विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना के हर वैरिएंट को दो तरह से वर्गीकृत करता है। पहला- 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' और दूसरा- 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न'। नए वैरिएंट JN.1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट में वर्गीकृत किया गया है और कहा गया है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा नहीं है।

Covid-19 New Variant

कोरोना का नया वैरिएंट

Corona New Variant: सर्दियां और त्योहारों का मौसम नजदीक आते ही कोरोना वायरस ने एक बार फिर से टेंशन बढ़ा दी है। कोरोना का नया वैरिएंट JN.1 इस बार चिंता का कारण बना हुआ है। सिंगापुर, अमेरिका और चीन में यह वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। भारत में भी केरल और तमिलनाडु में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट रहने को कहा है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 के नए वैरिएंट को लेकर बड़ा अपडेट दिया है।
डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 को 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया है। इसके साथ ही कहा है कि इस वैरिएंट से सार्वजनिक स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर जेएन.1 द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को वर्तमान में कम माना गया है। बता दें, JN.1 को पहले इसके मूल वंश BA.2.86 के एक भाग के रूप में 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' में वर्गीकृत किया गया था।

इस सूची में शामिल करने का क्या मतलब?

बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना के हर वैरिएंट को दो तरह से वर्गीकृत करता है। पहला- 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' और दूसरा- 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न'। हर वैरिएंट को उसके प्रकार, जोखिम और संक्रमण दर के अनुसार प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट में उन स्ट्रेन को रखा जाता है, जिनसे सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा कम होता है। हालांकि, इनका म्यूटेशन चौंकाने वाला होता है। वहीं वैरिएंट ऑफ कंसर्न में उन स्ट्रेन को रखा जाता है, जो काफी खतरनाक होते हैं। इससे पहले कोरोना के अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न में वर्गीकृत किया जा चुका है।

क्या काम करेगी वैक्सीन?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैरिएंट को लेकर एक और राहत भरी खबर सुनाई है। कहा गया है कि मौजूदा वैक्सीन जेएन.1 और कोविड -19 वायरस के अन्य परिसंचारी वैरिएंट में कारगर हैं और संक्रमण व मृत्युदर को रोकते हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि एजेंसी के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, 8 दिसंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका में सबवेरिएंट जेएन.1 अनुमानित 15% से 29% मामलों का कारण बनता है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि JN.1 वर्तमान में प्रसारित अन्य वैरिएंट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ा जोखिम बन सकता है।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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