कौन हैं एलेस बियालियात्स्की, जिन्हें मिला है इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार, जानिए क्या करते हैं काम

जेल में बंद बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की को दो अन्य संस्थाओं के साथ-साथ इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। इनके साथ जिन दो संस्थाओं को ये पुरस्कार मिले हैं वो हैं- रूसी समूह ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के संगठन ‘सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज'।

nobel prize winner

शांति का नोबेल पुरस्कार 2022

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
इस साल के नोबोल शांति पुरस्कार की घोषणा हो गई है। कई नामों की चर्चा के बीच इस बार यह पुरस्कार बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी समूह ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के संगठन ‘सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज' को दिया गया है। आइए जानते हैं कि कौन हैं ये और ऐसी क्या उपलब्धि थी, जिसके कारण इन्हें ये सम्मान मिला।
एलेस बियालियात्स्की
एलेस बियालियात्स्की का जन्म 25 सितंबर, 1962 को रूस के करेलिया में हुआ था। अब वो बेलारूस के नागरिक हैं। बेलियात्स्की 1980 के दशक के मध्य में बेलारूस में उभरे लोकतांत्रिक आंदोलन के शुरूआती कार्यकर्ताओं में से एक हैं। उन्होंने अपना जीवन बेलारूस में लोकतंत्र, शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया है। साल 1996 में उन्होंने इन सब कामों के लिए एक संगठन की स्थापना की । इसी के जरिए वो आगे मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने लगे। उन्होंने सरकार की उन नीतियों का विरोध किया, जिससे मानवाधिकारों का उल्लघंन हो रहा था। राजनीतिक कैदियों को यातना देने का विरोध किया। इसके बाद वो सरकार की नजर पर आ गए। सरकार से उन्हें चुप रहने का इशारा किया गया, लेकिन वो चुप नहीं रहे। जिसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया। साल 2020 के बाद से, वह अभी भी बिना मुकदमे के हिरासत में हैं।
सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज
सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना यूक्रेन में मानवाधिकारों और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। इसने यूक्रेन के नागरिक समाज को मजबूत करने और अधिकारियों पर यूक्रेन को एक पूर्ण लोकतंत्र बनाने के लिए दबाव बनाने का काम किया था। अब रूस-यूक्रेन जंग के बीच यह लोगों को बचाने में लगा हुआ है। साथ ही यूक्रेनी आबादी के खिलाफ रूसी युद्ध अपराधों की पहचान करने और उनका दस्तावेजीकरण करने के प्रयासों में लगा हुआ है।
रूसी समूह ‘मेमोरियल’
मानवाधिकार संगठन मेमोरियल की स्थापना 1987 में पूर्व सोवियत संघ में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा की गई थी। मेमोरियल इस धारणा पर आधारित है कि नए अपराधों को रोकने के लिए पिछले अपराधों को याद रखना आवश्यक है। यह संगठन सैन्यवाद का मुकाबला करने और कानून के शासन पर आधारित मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के प्रयासों में भी सबसे आगे खड़ा रहा है। चेचन युद्धों के दौरान, मेमोरियल ने रूसी और रूसी समर्थक बलों द्वारा आबादी पर किए गए दुर्व्यवहार और युद्ध अपराधों पर जानकारी एकत्र की और उसे सत्यापित भी किया। 2009 में, चेचन्या में मेमोरियल की शाखा के प्रमुख नतालिया एस्टेमिरोवा इन्हीं कामों के कारण मारे गए थे।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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