कौन हैं ये जापानी? जो PM मोदी से मिलते ही फर्राटेदार हिंदी में करने लगे बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान के हिरोशिमा में हैं। वह जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के न्योते पर हिरोशिमा पहुंचे हैं। खास बात यह है कि इस बिजी शेड्यूल के बीच पीएम मोदी ने प्रसिद्ध जापानी लेखक पद्मश्री डॉक्टर तोमियो मिजोकामी से मुलाकात की है।
पीएम मोदी इस समय जापान में हैं। यहां वो जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं। उन्हें जापान के पीएम ने इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। यहां शनिवार को पीएम मोदी जापान में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाले कुछ विशिष्ठ जापानी लोगों से मुलाकात की।
जब हिंदी में बात करने लगे जापानी विद्वान
इसी मुलाकात के दौरान उनसे एक शख्स मिले और मिलते ही फर्राटेदार हिंदी में बात करने लगे। फर्राटेदार हिंदी में बात करने वाले एक जापानी विद्वान हैं, जिन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री भी मिल चुका है। इनका नाम है डॉक्टर तोमियो मिजोकामी।
कौन हैं डॉक्टर तोमियो मिजोकामी
ओसाका विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ फॉरेन स्टडीज में ‘प्रोफेसर एमेरिटस’ डॉ. तोमियो मिजोकामी एक प्रसिद्ध लेखक और भाषाविद् हैं। ये हिंदी और पंजाबी भाषाओं के विशेषज्ञ हैं। जापान में भारतीय साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए डॉ. तोमियो मिजोकामी को 2018 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्होंने व्यापक रूप से प्रशंसित लेखन संग्रह ‘ज्वालामुखी’ प्रस्तुत की है, जो 1980 के दशक के जापानी विद्वानों के एक समूह, जिन्होंने जापान में हिंदी सीखने की नींव रखी थी, द्वारा लिखी गई रचनाओं का संकलन है।
क्या बोले डॉ मिज़ोकामी
बातचीत के बारे में पूछे जाने पर डॉ मिज़ोकामी ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया कि अगला 'विश्व हिंदी सम्मेलन' जापान में आयोजित किया जाए। यह पूछे जाने पर कि हिंदी भाषा में उनकी रुचि क्यों विकसित हुई, प्रोफेसर ने कहा- "मेरा जन्म जापानी शहर कोबे में हुआ था, जो उस समय काफी हद तक भारतीय आबादी का प्रभुत्व था... मैं उनसे प्रभावित था...मैं जानने के लिए उत्सुक था उनकी भाषा के बारे में जानने के लिए… "
पंडित नेहरू के प्रशंसक
उन्होंने यह भी कहा कि वह पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के प्रशंसक थे। उन्होंने कहा- "उस समय में, उनका (नेहरू) भी दुनिया भर में एक बड़ा प्रभाव था …. वह, ‘गुट-निरपेक्ष आंदोलन’ (शीत युद्ध की अवधि के दौरान) के संस्थापकों में से एक के रूप में, हम जैसे युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे, जो शांति और स्थिरता चाहते थे। तो क्यों न ऐसे नेता की भाषा सीखी जाए।"
क्या बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तरह की बातचीत से दोनों देशों के बीच आपसी समझ, सम्मान और मजबूत संबंध बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस तरह के समृद्ध वैचारिक आदान-प्रदान के और अवसरों के प्रति आशान्वित होने की बात कही, जो भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी संबंधों को और मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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