Zakir Hussain: मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन जिनकी उंगलियों में था जादू, महज 12 साल की उम्र में दी पहली परफॉर्मेंस
Who Was Zakir Hussain: मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है, इस खबर से दुनिया भर में उनके प्रशंसकों को गहरा झटका लगा है, उन्होंने बेहद कम उम्र में सफलता की तमाम सीढ़ियां चढ़ ली थीं, यहां जानिए उनके बारे में...
मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन (फाइल फोटो)
Tabla Ustad Zakir Hussain Death: मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया बता दें कि तबले पर जब उनकी उंगलियां चलती थीं तो सुनने और देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। जाकिर हुसैन के परिवार के अनुसार, हुसैन की मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। वह 73 वर्ष के थे। वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था।
बता दें कि उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था, वो भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक थे । ज़ाकिर हुसैन तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे थे।
ज़ाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में सन् 1988 में पद्मश्री तथा सन् 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था इन्हें 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई
महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई।
12 साल की उम्र से ही संगीत की दुनिया में तबले की आवाज़ को बिखेरना शुरू किया
ज़ाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता 12 साल की उम्र से ही ज़ाकिर हुसैन ने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज़ को बिखेरना शुरू कर दिया था। प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज के बाद ज़ाकिर हुसैन ने कला के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित करना शुरू कर दिया।
1973 में उनका पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया
1973 में उनका पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था। उसके बाद तो जैसे ज़ाकिर हुसैन ने ठान लिया कि अपने तबले की आवाज़ को दुनिया भर में बिखेरेंगे। 1979 से लेकर 2007 तक ज़ाकिर हुसैन विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाते रहे। ज़ाकिर हुसैन भारत में तो बहुत ही प्रसिद्ध हैं साथ ही साथ विश्व के विभिन्न हिस्सों में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं।
1988 में उन्हें पद्म श्री का पुरस्कार मिला था
1988 में जब उन्हें पद्म श्री का पुरस्कार मिला था तब वह महज 37 वर्ष के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी थे। इसी तरह 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया था।
करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार मिले
हुसैन को अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार मिले हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में शामिल हैं। छह दशकों के अपने करियर में हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया।
कथक नृत्यांगना और शिक्षिका अन्तोनिया मिन्नेकोला से विवाह किया
हुसैन ने कथक नृत्यांगना और शिक्षिका अन्तोनिया मिन्नेकोला से विवाह किया , जो उनकी मैनेजर भी थीं। उनकी दो बेटियाँ हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी। अनीसा ने यूसीएलए से स्नातक किया है और वह एक फिल्म निर्माता हैं। इसाबेला मैनहट्टन में नृत्य का अध्ययन कर रही हैं।
जाकिर हुसैन के दो भाई थे
तौफीक कुरैशी एक तालवादक और फजल कुरैशी भी एक तबला वादक थे। उनके भाई मुनव्वर की कम उम्र में ही एक पागल कुत्ते के हमले में मौत हो गई थी। हुसैन के जन्म से पहले ही उनकी सबसे बड़ी बहन बिलकिस की मृत्यु हो गई थी। एक और बहन, रजिया, 2000 में अपने पिता की मृत्यु से कुछ घंटे पहले मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान जटिलताओं के कारण मर गई थी। उनकी एक और बहन है जिसका नाम खुर्शीद है।
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रवि वैश्य author
मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनि...और देखें
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