हमास के खिलाफ जंग में क्या इजरायल का साथ छोड़ देगा अमेरिका? विदेश मंत्रालय के बयान के बाद अलग-थलग पड़ सकते हैं नेतन्याहू
Israel Hamas War: अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि गाजा में हमास के खिलाफ अमेरिका हथियारों का इस्तेमाल हुआ और इनके इस्तेमाल से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हुआ होगा। साथ ही विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि हालांकि, उसके इस आंकलन में हमलों की पूरी जानकारी नहीं है।
अमेरिका चाहता है कि रफाह पर बड़ा हमला नहीं करे इजरायल।
Israel Hamas War: गाजा के दक्षिण शहर रफाह पर हमले को लेकर अमेरिका और इजरायल के बीच कड़वाहट दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। अमेरिका चाहता है कि रफाह पर इजरायल बड़ा हमला एवं निर्णायक न करे लेकिन उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर उसके दबाव और चेतावनी का असर नहीं हो रहा है। नेतन्याहू रफाह पर भीषण हमला करने की बात कह रहे हैं। अब अमेरिका ने इजरायल के हमलों को लेकर बड़ा बयान दिया है। इस बयान के बाद नेतन्याहू मुश्किल में पड़ सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर उनका समर्थन कम हो सकता है।
बाइडेन प्रशासन ने क्या कहा
शुक्रवार को बाइडेन प्रशासन ने कहा कि इजरायल की सेना ने गाजा में हमास के खिलाफ जिन अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल किया, इससे हो सकता है कि वहां अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हुआ हो। हमास के खिलाफ जंग में अपने किसी सहयोगी देश के खिलाफ अमेरिका का यह अब तक का सबसे कड़ा बयान है। अमेरिका के इस बयान के बाद नेतन्याहू सरकार से सवाल पूछे जा सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें जो समर्थन मिला हुआ है, उसमें कमी आ सकती है। यहां तक कि फिलिस्तीन को व्यापक समर्थन देने और इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के लिए अमेरिका का यह बयान एक बड़ा आधार बन सकता है।
'आंकलन में हमलों की पूरी जानकारी नहीं'
रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि गाजा में हमास के खिलाफ अमेरिका हथियारों का इस्तेमाल हुआ और इनके इस्तेमाल से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हुआ होगा। साथ ही विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि हालांकि, उसके इस आंकलन में हमलों की पूरी जानकारी नहीं है। गाजा पर इजरायल पर हमलों की यह रिपोर्ट शुक्रवार को कांग्रेस को सौंपी गई।
धीरे-धीरे पैर पीछे खींच रहा अमेरिका
बता दें कि हमास ने गत सात अक्टूबर को इजरायल पर भीषण हमले किए। इस हमले के बाद हमास के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका कूटनीति से लेकर हथियारों तक की मदद इजरायल को करता आया है। लेकिन अब वह अपने पैर धीरे-धीरे पीछे खींच रहा है। गाजा के दक्षिणी शहर रफाह पर सैन्य कार्रवाई के लिए नेतन्याहू जहां दृढ़ प्रतिज्ञ हैं, वहीं अमेरिका बार-बार आगाह कर रहा है कि यदि इस शहर पर इजरायल ने बड़े पैमाने पर हमले किए तो वह उसे सैन्य मदद एवं हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा।
अमेरिका की नहीं सुन रहे नेतन्याहू
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की इस चेतावनी का नेतन्याहू पर असर नहीं हुआ है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि अमेरिकी मदद के बिना भी उनकी सेना अकेले हमास से लोहा लेगी। जाहिर है कि नेतन्याहू रफाह में इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) की बड़ी कार्रवाई करने का मन बना चुके हैं। इसकी शुरुआत सोमवार को हो भी गई। रफाह के इलाकों को निशाने बनाते हुए इजरायली सेना ने हमले शुरू किए। सवाल है कि रफाह पर नेतन्याहू बड़ा हमला करने के लिए क्यों तुले हैं? और हमास के खात्मे के लिए घातक गोला-बारूद एवं हथियारों का जखीरा इजरायल भेजने वाला अमेरिका इस शहर को क्यों हमलों से बचाना चाहता है?
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