Rishi Sunak को अमावस की रात मिला PM का तख्त, पर क्या मिटा पाएंगे UK का 'आर्थिक अंधेरा'?

महज सात साल के राजनीतिक करियर में सांसद से प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे ऋषि सुनक का जीवन किसी परीकथा से कम नहीं है। उन्होंने आने वाली परेशानियों को समय से पहले भांप लेने और हवा के बदलते रूख के अनुसार फैसले करने की अपनी आदत को उस वक्त भी नहीं छोड़ा जब वह प्रधानमंत्री पद की होड़ में लिज ट्रस से हार गए। वह जानते थे कि ट्रस के फैसले ब्रिटेन की जनता की आर्थिक समस्याओं को बढ़ाएंगे ही और तब वित्त मंत्री के तौर पर उनका तजुर्बा उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाएगा।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं। (AP)

आम तौर पर अगर किसी देश के नेता दूसरे देश में जाते हैं तो वहां की जनता के प्रति अपनापन दिखाने के लिए उनकी भाषा में अभिवादन करते हैं या एकाध जुमला बोलते हैं। जैसे भारत आने वाले विदेशी मेहमान अकसर ‘‘नमस्ते’’ या ‘‘आप कैसे हैं’’ कहकर हमारे देश की संस्कृति निभाते हैं, लेकिन आने वाले समय में जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भारत आएंगे तो हो सकता है कि वह हिंदी या पंजाबी में बात करने के साथ ही आरती या गायत्री मंत्र भी सुना दें।

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पिछले कुछ समय में पूरी दुनिया ने देखा कि वह पूरी श्रद्धा से गाय की पूजा करते हैं, हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं, माथे पर टीका लगाते हैं, कलाई पर कलावा बांधते हैं, दीवाली पर 10 डाउनिंग स्ट्रीट की दहलीज पर दीप जलाते हैं, पूजा करते हैं, पूरे गर्व से खुद को हिंदू बताते हैं और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद उस देश की जनता को मौजूदा आर्थिक तंगी से निकालने का वचन देते हैं।

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ब्रिटिश हुकूमत से आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रही भारत की जनता इस बार दीवाली के साथ-साथ इस बात की भी खुशी बना रही थी कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बन गए हैं। सुनक ने ऐसे समय पर ब्रिटेन का शासन संभाला है, जब उस देश में महंगाई आसमान छू रही है, आर्थिक वृद्धि की रफ्तार थम सी गई है, देश की मुद्रा कमजोर हो रही है और उनकी कंजरवेटिव पार्टी आतंरिक कलह से बेहाल है। सुनक ब्रिटेन के 57वें और इस वर्ष के तीसरे प्रधानमंत्री हैं। पहले बोरिस जॉनसन, फिर लिज ट्रस और अब ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठना इस बात का संकेत है कि ब्रिटेन में राजनीतिक हालात कुछ ठीक नहीं हैं और सुनक के सामने अपनी कुर्सी को बचाने के साथ-साथ देश की जनता को भी संकट से निकालने की दोहरी जिम्मेदारी है।

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