World Population: 8 अरब हो गई दुनिया की आबादी, 2023 में चीन से आगे निकल जाएगा भारत
दुनिया की जनसंख्या (World Population) आज (15 नवंबर 2022) 8 अरब हो गई। लेकिन राहत की बात है कि धीमी दर से बढ़ रही है। यह आबादी 2050 में 9.7 अरब होने का अनुमान है। वर्ष 2050 तक दुनिया की आबादी में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक आठ देशों में केंद्रित होगा।
दुनिया की जनसंख्या में वृद्धि हुई धीमी
मुख्य बातें
- 2030 में दुनिया की जनसंख्या 8.5 अरब हो जाएगी।
- 2050 में दुनिया की आबादी 9.7 अरब हो जाएगी।
- मृत्यु दर में गिरावट भी जनसंख्या वृद्धि की वजह है।
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुमानों के मुताबिक मंगलवार (15 नवंबर) को दुनिया की आबादी 8 अरब हो गई, जो इसे मानव विकास में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के लेटेस्ट अनुमानों से पता चलता है कि दुनिया की जनसंख्या (World Population) 2030 में करीब 8.5 अरब, 2050 में 9.7 अरब और 2100 में 10.4 अरब तक बढ़ सकती है। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर सोमवार को जारी वार्षिक विश्व जनसंख्या संभावना रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया की जनसंख्या 1950 के बाद से अपनी सबसे धीमी दर से बढ़ रही है, जो 2020 में 1% से भी कम हो गई है। जबकि दुनिया की आबादी को 7 से 8 अरब तक बढ़ने में 12 साल लगे, लेकिन इसे 9 अरब तक पहुंचने में करीब 15 साल लगेंगे (2037 तक), यह एक संकेत है कि दुनिया की आबादी की समग्र विकास दर धीमी हो रही है।संबंधित खबरें
2050 तक इन 8 देशों में होगी सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि
2022 में, एशिया में दो सबसे अधिक आबादी वाले इलाके थे। पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में 2.3 अरब और मध्य और दक्षिणी एशिया में 2.1 अरब। चीन और भारत 1.4 अरब से अधिक के साथ अधिक रही। इन दो देश अधिकांश आबादी के लिए जिम्मेदार हैं। 2050 तक दुनिया की जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक केवल आठ देशों में केंद्रित होगा। ये देश हैं कांगो, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया। संबंधित खबरें
2023 में चीन से आगे निकल जाएगा भारत
दुनिया के सबसे बड़े देशों में असमान मानव वृद्धि दर के आकार के आधार पर उनकी रैंकिंग को फिर से व्यवस्थित करेगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार 2023 में भारत (Population of India) के दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन (Population of China) से आगे निकलने का अनुमान है। जनसंख्या वृद्धि (Population growth) आंशिक रूप से मृत्यु दर में गिरावट के कारण होती है। जैसा कि जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के बढ़े हुए स्तरों को बताता है। विश्व स्तर पर, 2019 में जीवन प्रत्याशा 72.8 वर्ष तक पहुंच गई। 1990 के बाद से करीब 9 वर्षों की वृद्धि हुई। मृत्यु दर में और कमी होने से 2050 में वैश्विक स्तर पर करीब 77.2 वर्षों की औसत दीर्घायु होने का अनुमान है।संबंधित खबरें
गरीब देशों में तेजी से बढ़ती है जनसंख्या
उच्चतम प्रजनन स्तर वाले देश वे होते हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय सबसे कम होती है। समय के साथ दुनिया की जनसंख्या वृद्धि दुनिया के सबसे गरीब देशों में तेजी से केंद्रित हो गई है। जिनमें से अधिकांश उप-सहारा अफ्रीका में हैं। इन देशों में, निरंतर तीव्र जनसंख्या वृद्धि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि को विफल कर सकती है। जो एक खुशहाल और स्वस्थ भविष्य की दिशा में दुनिया का सबसे अच्छा मार्ग है। भले ही जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) आर्थिक विकास के पर्यावरणीय प्रभाव को बढ़ाती है, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि उत्पादन और खपत के अस्थिर पैटर्न का मेन ड्राइवर है।संबंधित खबरें
भौतिक संसाधनों की अधिकतम प्रति व्यक्ति खपत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वाले देश वे हैं जहां प्रति व्यक्ति आय अधिक है, न कि वे जहां जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ग्लोबल तापमान वृद्धि को सीमित करने के लिए पेरिस समझौते के उद्देश्यों को पूरा करना, एसडीजी प्राप्त करते समय, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उत्पादन और खपत के अस्थिर पैटर्न को रोकने पर गंभीर रूप से निर्भर करता है। फिर भी, कई दशकों में धीमी जनसंख्या वृद्धि वर्तमान शताब्दी के उत्तरार्ध में पर्यावरणीय क्षति के और संचय को कम करने में मदद कर सकती है।संबंधित खबरें
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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