5 साल बाद जिनपिंग -PM मोदी के बीच मुलाकात, क्या पटरी पर आएंगे भारत-चीन के रिश्ते?

Xi Jinping and PM Modi Meet : करीब चार साल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई है। यह मुलाकात कजान शहर में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर हुई है।

ब्रिक्स समिट में चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात करते पीएम नरेंद्र मोदी।

Xi Jinping and PM Modi Meet : करीब 5 साल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को कजान में मुलाकात हुई। यह द्विपक्षीय मुलाकात ब्रिक्स सम्मेलन से इतर हुई। भारत और चीन के मौजूदा रिश्ते एवं सीमा पर तनाव के बीच हुई इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजर है। इस मुलाकात से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए चीन और भारत के बीच संयुक्त गश्ती करार समझौता हुआ है। इसे दोनों देशों के संबंधों में जमी बर्फ पिघलाने की एक बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। गलवान में जून 2020 में हुई झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में ऐसे कई स्थल और मोर्चे थे, जिन्हें लेकर गतिरोध बना हुआ था। करीब 5 साल बाद मोदी और जिनपिंग की मुलाकात हुई है।

चीन को पीछे हटने का फैसला करना पड़ा

पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए दोनों देशों की तरफ से कोशिशें की जा रही थीं। राजनयिक और शीर्ष सैन्य स्तर पर लगातार बातचीत हुई। भारत लगातार यह कहता आया कि जब तक एलएसी पर हालात सामान्य नहीं होंगे तब तक दोनों देशों के बीच रिश्ते भी सामान्य नहीं हो पाएंगे। भारत अपने रुख पर अड़ा रहा जिसके बाद चीन को पीछे हटने का फैसला करना पड़ा। डेमचोक जैसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्वांइट से चीनी सैनिकों का पीछे हटना कूटनीतिक रूप से भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

बड़ा कदम लेकिन पर्याप्त नहीं

विश्वास बहाली की दिशा में यह बड़ा कदम है लेकिन पर्याप्त नहीं। भरोसा ऐसी चीज है जिसे दो चार साल और दो चार पहल से नहीं जीता जा सकता। वफादारी, ईमानदारी और सच्चाई की कसौटी पर कसने के बाद भरोसा पैदा होता है। वह भी भरोसा अगर चीन पर करना है तो वह और भी बड़ा मुश्किल है। कोई उस देश पर आसानी से भरोसा कैसे कर सकता है जिसकी फितरत में दगाबाजी और धोखा हो। पीएम मोदी और जिनपिंग की यह मुलाकात विश्वास बहाली के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए एक आधार देगी।

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