ADA fined Rs 25 lakh: पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर एनजीटी ने लगाया जुर्माना

fine Rs 25 lakh: आगरा के नालंदा टाउन में सीवर खुले में बहने पर एनजीटी ने एडीए पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना एडीए के जिम्‍मेदार अधिकारियों से वसूला जाएगा। जुर्माना लगाने के साथ एडीए उपाध्यक्ष पर अनट्रीटेड सीवेज को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी तय की।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • नालंदा टाउन में खुले में बहाया जा रहा था सीवर
  • देवांशु बोस ने एनजीटी में दायर की थी याचिका
  • एनजीटी ने एडीए अधिकारियों को लगाई कड़ी फटकार

ADA fined Rs 25 lakh: पर्यावरण को क्षति पहुंचाने और मानव स्वास्थ्य के लिए संकट पैदा के आरोप में आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ी कार्रवाई की है। एनजीटी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एडीए पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी आगरा के नालंदा टाउन में सीवर खुले होने के मामले की सुनवाई कर रहा था। एनजीटी ने जुर्माना लगाने के साथ एडीए उपाध्यक्ष पर अनट्रीटेड सीवेज को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी तय की।

हाउसिंग कालोनी का सीवेज खुली जमीन पर

बता दें कि, देवांशु बोस ने हाउसिंग कालोनी नालंदा टावर का सीवेज एकता चौकी के पास खुली जमीन पर बहाए जाने पर एनजीटी में याचिका दायर की थी। यहां प्रतिदिन करीब 1.45 लाख लीटर सीवेज खुले में बहाया जा रहा है। इस मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने एक दिसंबर, 2021 को एडीए, डीएम और उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कमेटी बनाकर रिपोर्ट मांगी थी। जिसके बाद कमेटी ने इस मामले में 22 फरवरी को अपनी रिपोर्ट दाखिल की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना कि मानकों के अनुसार सीवेज का निस्तारण नहीं हो रहा है। सीवेज का निस्तारण जमीन पर किया जा रहा है, जो नाली से जुड़ी है। एनजीटी ने अब जाकर इस मामले में कार्रवाई की है।

एनजीटी ने सख्‍त टिप्‍पणी के साथ लगाया जुर्माना

इस मामले की सुनवाई एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य प्रो. सेंथिल वेल, डा. विजय कुलकर्णी व डा. अफरोज अहमद ने की। सुनवाई के दौरान बेंच ने माना कि खुले व नाली में सीवेज को बहाना जल अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यावरण सुरक्षा समिति बनाम यूनियन आफ इंडिया वाद में दिए गए निर्णय की अवमानना है। साथ ही एडीए को अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम बताया और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर 25 लाख रुपये की धनराशि जमा कराने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि एडीए अपने दोषी अधिकारियों से इसकी वसूली को स्वतंत्र है।

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