आगरा में तेजी से ठीक हो रहे कोरोना मरीज (प्रतीकात्मक तस्वीर)  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
- आगरा में देखने को मिल रही 87.47 प्रतिशत की रिकवरी दर
- वायरस का प्रसार कम होने से प्रशासन को मिली कुछ राहत
- 3 मई को सामने आए थे सबसे ज्यादा 54 मामले
आगरा: छह नए मामलों के साथ मंगलवार देर शाम तक आगरा में कोविड-19 मामलों की संख्या 870 थी। वहीं शहर में 87.47 प्रतिशत की रिकवरी दर देखी जा रही है, जिससे प्रशासन को काफी राहत मिली है। कोविड-19 रोगियों के दैनिक नए मामले लगातार ग्यारह दिनों से दस से कम आ रहे हैं। सोमवार को, सात नए मामले थे। अब तक में सबसे ज्यादा दैनिक मामलों की संख्या 3 मई को 54 थी और तब से शहर में ठीक होने वाले मरीजों की दर में लगातार सुधार हुआ है।
जिला मजिस्ट्रेट पी.एन.सिंह ने कहा कि अब तक 761 मरीज ठीक हुए और घर लौट गए। उन्होंने बताया कि सक्रिय मामलों की संख्या 76 थी। वहीं अब तक कुल 12 हजार 384 नमूने एकत्र किए जा चुके हैं। पड़ोसी शहर फिरोजाबाद में आठ नए मामले सामने आए और मथुरा में सात नए पॉजिटिव मामले सामने आए।
गर्मी ने किया परेशान: इस बीच आगरा में पारा 46.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मौसम विज्ञानी ने कहा, गर्मी की लहर शनिवार तक जारी रह सकती है। बढ़ते तापमान ने न केवल तनाव को बढ़ा दिया है, बल्कि शहर के पानी के संकट को भी बढ़ा दिया है। मंगलवार की देर शाम तक आधे शहर में बिजली नहीं थी, इसके पीछे बढ़ी हुई मांग और तकनीकी खराबी दोनों जिम्मेदार थे।
शहर प्रशासन ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि 31 मई तक, लोगों को लॉकडाउन प्रतिबंधों में किसी भी छूट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीमें हॉटस्पॉट्स में स्क्रीनिंग कर रही थीं और लाउड स्पीकरों वाले मोबाइल वैन लगातार कोविड -19 से संबंधित संदेश दे रहे थे, ताकि लॉकडाउन हटने तक लोगों को अपने दम पर सीखने के लिए तैयार किया जा सके।
कोरोना नियंत्रण में मॉडल बना आगरा: हालांकि तबलीगी प्रकरण के बाद शहर की खासी आलोचना हुई और फिर यहां आगरा मॉडल लागू किया गया। इसके लिए उप्र के मुख्यमंत्री ने लखनऊ के छह वरिष्ठ नौकरशाहों की एक टीम को आगरा में एक सप्ताह के लिए तैनात करने में मदद की थी। इसका लक्ष्य प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं को सुव्यवस्थित करना था। इसके परिणामस्वरूप 44 हॉटस्पॉट में बेहतर प्रबंधन किया गया और संक्रमण पर नियंत्रण हो गया।
अंतरराज्यीय श्रमिकों की आमद से निपटने और उन्हें परिवहन, भोजन और मेडिकेयर प्रदान करने की जिला प्रशासन की रणनीति ने कई दिल जीते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार सिंह ने कहा, 'शुरू में समस्या थी क्योंकि प्रशासन खुद ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था। जब एक बार योगी ने अपनी रणनीति बनाई तो सामने से, जिला अधिकारियों, रेलवे और रोडवेज के साथ-साथ स्थानीय लोगों को साथ-साथ इस समस्या से निपटने के लिए काम करते देखा गया।'