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Heavy Tax on car purchase : मारुति ने कहा- लोग कार खरीदना चाहते हैं लेकिन बड़ी बाधा है भारी टैक्स

Updated Aug 05, 2020 | 13:41 IST

Tax on car purchase : देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने कहा कि लोग कार खरीदना चाहते हैं लेकिन उनके सामने ये बाधा आकर खड़ी हो जाती है।

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भारत में कार खरीद पर भारी टैक्स
मुख्य बातें
  • भारत में किसी भी अन्य विनिर्माता देश की तुलना में कारों पर टैक्स की दरें अधिक हैं
  • यह कार खरीदने को इच्छुक कई लोगों के लिए बाधा का काम करता है
  • भारत में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है

नई दिल्ली : वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है कि भारत में किसी भी अन्य विनिर्माता देश की तुलना में कारों पर टैक्स की दरें अधिक हैं। उन्होंने कहा कि यह कार खरीदने को इच्छुक कई लोगों के लिए बाधा का काम करता है। भार्गव ने 2019-20 के लिए कंपनी की सालाना रिपोर्ट में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25% करना है, तो इसके लिए वाहनों की बिक्री में तेज वृद्धि की जरूरत है।

 उन्होंने करों के बारे में कहा कि 2019-20 से पहले भी, भारत में कारों पर टैक्स दुनिया के किसी भी अन्य कार विनिर्माता देश की तुलना में कहीं अधिक था। यूरोपीय संघ (ईयू) में मूल्य वर्धित कर (वैट) 19 फीसदी है और इसके अलावा कोई अन्य कर नहीं। जापान में टैक्स लगभग 10% हैं। भार्गव ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। ऐसे में टैक्स की अधिक दरें कई संभावित कार मालिकों के लिए बड़ा मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि 2019-20 में कार खरीदने की लागत में वृद्धि के साथ ऋण प्राप्त करने में दिक्कतों समेत अन्य बाधाओं के कारण बिक्री में गिरावट आई।

मारुति सुजुकी के चेयरमैन ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि यदि विनिर्माण क्षेत्र को एक ऐसी दर से बढ़ाना है कि यह 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में 25% तक का योगदान दे, तो कार की बिक्री पहले की तुलना में बहुत अधिक दर से बढ़नी चाहिये। कार उद्योग पूरे वाहन क्षेत्र में करीब 50% तथा GDP में पूरे विनिर्माण क्षेत्र के योगदान में करीब 40% हिस्सेदारी रखता है।

अभी देश में यात्री वाहनों पर सर्वाधिक 28% की दर से माल एवं सेवा कर (GST) लगता है। इसके अलावा चार मीटर से कम लंबाई वाले यात्री वाहनों पर एक% उपकर लगता है, जो चार मीटर से अधिक लंबाई वाले स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) के लिये बढ़कर 22% हो जाता है।

भार्गव ने कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले ही कोविड-19 महामारी ने वाहन क्षेत्र की मुश्किलों को बढ़ा दिया था। 25 मार्च 2020 से लगे लॉकडाउन ने सभी कंपनियों की बिक्री योजनाओं को बाधित कर दिया, क्योंकि मार्च का आखिरी सप्ताह हमेशा महत्वपूर्ण होता है। अप्रैल में कोई उत्पादन नहीं हो सकता था और मई 2020 में उत्पादन बहुत सीमित था। जून में उत्पादन में कुछ सुधार हुआ।

भार्गव ने कहा, कंपनी को उम्मीद है कि धीरे-धीरे उत्पादन और बिक्री बढ़ेगी, क्योंकि स्थिति में सुधार हो रहा है और श्रमिक अपने गांवों से लौटने लगे हैं। आगे के परिदृश्य के बारे में उन्होंने कहा कि अच्छी रबी फसल और अपेक्षित सामान्य मानसून की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था काफी मजबूत है। ट्रैक्टर की बिक्री पिछले साल की तुलना में पहले से अधिक है। 

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हमारी बिक्री शहरी क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2020-21 की दूसरी छमाही में बिक्री पिछले साल के प्रदर्शन के करीब हो सकती है और 2021-22 बेहतर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि डीजल वाहनों की मांग आती है तो कंपनी फिर से डीजल वाहन उतारने पर विचार कर सकती है।उल्लेखनीय है कि कंपनी नये उत्सर्जन मानक भारत स्टेज छह के लागू होने के बाद डीजल वाहनों का उत्पादन बंद कर चुकी है।