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नितिन गडकरी बोले ‘एयरबैग की कीमत 800 रुपये’, सुरक्षित वाहनों को लेकर कही ये बड़ी बात

अंशुमन साकल्ले | Senior Special Correspondent
Updated Aug 06, 2022 | 14:37 IST

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं हाइवे मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क और वाहनों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से कुछ बातों पर जोर डाला है. उन्होंने कहा कि पिछले यात्रियों की बेहतर सुरक्षा के लिए 800 रुपये में एयरबैग लगाया जा सकता है.

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सुरक्षा बढ़ाने के लिए सिर्फ 800 रुपये में एयरबैग कार में लगाया जा सकता है (Image Credit: NBT)
मुख्य बातें
  • सिर्फ 800 रुपये में मिलेगा एक्स्ट्रा एयरबैग
  • 6 एयरबैग्स होंगे अनिवार्यः नितिन गडकरी
  • अगले साल से शुरू होगा भारत एनसीएपी

Nitin Gadkari On 6 Airbags: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर सड़क दुर्घटना में मरने वाले भारतीयों की संख्या पर प्रकाश डाला है. गडकरी ने भारतीय सड़कों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और वाहनों की सुरक्षा को पुख्ता करने पर जोर डाला है. बता दें कि दुनियाभर में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौत भारतीय वाहन चालकों की होती है और ग्लोबल लेवल पर होने वाली कुल फेटैलिटी में 10 फीसदी भारत से आता है. यही वजह है कि नितिन गडकरी सभी पैसेंजर वाहनों के साथ एयरबैग्स की संख्या को बढ़ाने की बात पर काफी गंभरता से काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले यात्रियों के लिए कोई एयरबैग्स नहीं दिए जाते, जबकि सुरक्षा बढ़ाने के लिए सिर्फ 800 रुपये में एयरबैग कार में लगाया जा सकता है. 

जल्द अनिवार्य किए जाएंगे 6 एयरबैग्स 

इससे पहले नितिन गडकरी ने ये जानकारी दी थी कि भारतीय मार्केट में बिकने वाली सभी कारों के साथ 6 एयरबैग्स को अनिवार्य किया जाएगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि कार किफायती है या फिर प्रीमियम. इसी हफ्ते गडकरी ने लोकसभा में बताया था कि सड़क दुर्घटना में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाना हमारा इरादा है. गडकरी ने कहा, “हमारा विभाग पिछले यात्रियों के लिए भी एयरबैग्स उपलब्ध कराए जाने पर काम कर रहा है जिससे उनकी जान बचाई जा सके. सालाना भारत में 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, इनमें 1.5 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं.” 

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भारत में अगले साल से शुरू होगा क्रैश टेस्ट 

नितिन गडकरी ने पहले जानकारी देते हुए कहा था कि सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया के सभी देशों में भारत का तीसरा नंबर आता है. इन्होंने 2018 के वर्ल्ड रोड स्टेटिस्टिक्स से ये डेटा लिया है. जहां रैश ड्राइविंग के खिलाफ सख्त नियम और कानून कारगर साबित हो सकते हैं, वहीं यहां ड्राइवर और पैदल यात्रियों के बीच जागरुकता फैलाने की भी बहुत जरूरत है. देश में निर्मित वाहनों की बात करें तो इनके सुरक्षित होने की नितांत आवश्यक्ता है. भारत में खुदके सुरक्षा रेटिंग टेस्ट की तैयारी भी पूरे जोर पर है जो भारत एनकैप के नाम से अगले साल तक शुरू किया जाएगा.