- जालसाज युवाओं को मोटी रकम देकर उनके नाम के बैंक अकाउंट करते हैं यूज
- चाइना, सिंगापुर व थाईलैंड सहित कई अन्य मुल्कों में बैठ कर ठग कर रहे ठगी
- ठग राजस्थान व गुजरात में अपने ठिकानों से लोगों को फंसाते हैं लोन एप के जरिए
Bhopal Cyber Fraud: राजधानी भोपाल से पैसा ठगी के जरिए विदेशों में जा रहा है। इसका खुलासा राजधानी की साइबर पुलिस ने किया है। हालांकि साइबर सेल के अधिकारी पूरे मामले की पड़ताल में जुटे हैं। साइबर सेल के आला अधिकारियों के मुताबिक साइबर ठग लोगों को मोबाइल पर कई एप के जरिए अपना निशाना बना रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस जांच में जानकारी मिली है कि, ठग चाइना, सिंगापुर व थाईलैंड सहित कई अन्य मुल्कों में बैठकर ठगी कर रहे हैं। फ्रॉड का पैसा क्रिप्टो व बिटकॉइन के जरिए दूसरे मुल्कों में जा रहा है।
राजधानी की साइबर पुलिस के डिप्टी कमिश्रर अमित कुमार के मुताबिक शहर में ठगी के करीब ढाई हजार मामले सामने आए हैं। जिसमें लोन व अन्य मोबाइल एप के जरिए फ्रॉड किया गया है। इसमें 50 मामले तो ऐसे निकले हैं, जिनमें ठगी का पैसा सिंगापुर व चाइना भेजा गया है।
ऐसे बनाते हैं ठगी का शिकार
डिप्टी कमिश्रर अमित कुमार के मुताबिक शातिर जालसाज मोबइल एप के जरिए उन युवाओं की तलाश करते हैं, जिन्हें पैसे कमाने की जल्दी होती है। जालसाजों के झांसे में आने के बाद युवकों के बैंक खाते खुलवाकर बदले में मोटी रकम देकर अकाउंट के अधिकार ले लेते हैं। इसके बाद ये इन खातों के जरिए ठगी करते हैं। जालसाज शिकार को लोन एप के जरिए फंसाते हैं। इसके बाद पैसा क्रिप्टो या फिर बिटकॉइन के जरिए विदेशों मे पहुंचाते हैं। उपायुक्त के मुताबिक जब तक मामला पुलिस के पास पहुंचता है, जालसाज उससे पहले ही बैंक अकाउंट का यूज कर लेते हैं। लोन देने के बाद शिकार को बार- बार कॉल कर दुगनी से अधिक रकम वसूलने का दबाव बनाते हैं। साइबर पुलिस के मुताबिक दर्ज प्रकरणों में सबसे ज्यादा मामले लोन के नाम पर ठगी के आए हैं। जिनमें पीड़ित लोगों ने 10 करोड़ से अधिक रकम की ठगी होने की बात कही है।
ये हैं जालसाजों के ठिकाने
साइबर सेल पुलिस के मुताबिक जांच के दौरान सामने आई जानकारी में पता लगा है कि जालसाजों के सबसे अधिक ठिकाने राजस्थान के भरतपुर जनपद व उसके आसपास हैं। यहीं से फेक बैंक अकाउंट यूज हो रहे हैं। वहीं पैसे ट्रांसफर करने के मामले सबसे अधिक राजस्थान व गुजरात से हैं। साइबर सेल अधिकारियों के मुताबिक पुलिस महज बैंक अकाउंट होल्डर तक ही पहुंच पाती है। ऐसे में जालसाजों को पकड़ना साइबर पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है।